पद्मश्री फूलबासन की दास्तां पर रो पड़े थे बिग-बी, रात भर चली थी शूटिंग
भिलाई। पद्मश्री फूलबासन यादव ने जब सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को अपनी गाथा सुनाई तो वे रो पड़े थे। वे इतने भावुक हो गए थे कि शूटिंग देर रात तक रुक-रुक कर चलती रही थी। कौन बनेगा करोड़पति का यह अनुभव पद्मश्री फूलबासन ने एमजे कालेज के “लाइट हाउस” कार्यक्रम में साझा किया। उन्होंने बताया कि किस तरह स्व सहायता समूह के माध्यम से उन्होंने अपनी तकदीर बदली।
एमजे कालेज द्वारा समाज के प्रकाशस्तंभों को अपने “लाइट-हाउस” कार्यक्रम के तहत मंच प्रदान किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों के साथ ही अध्यापकों एवं सामान्य समाज को निरंतर प्रयास करते हुए आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। फूलबासन ने बताया कि बचपन में उन्होंने कई कई रातें भूखे बिताई हैं। विवाह के बाद भी हालात नहीं बदले। फिर उन्होंने स्व सहायता समूह बनाया। छोटी-छोटी बचत और मिलकर कुछ करने की सोच ने उनमें आत्मविश्वास पैदा किया। महिलाएं घर से निकलने लगीं और नए नजरिये के साथ काम करने लगीं।
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सबसे पहले अपने आप से लड़ने की जरूरत पड़ती है। गुलामी वाली सोच को काटे बिना आप कुछ नहीं कर सकते। इसके बाद परिवार और समाज को विश्वास में लेना होता है। कार्य की निरंतरता, परस्पर सहयोग और अच्छे मार्गदर्शकों का साथ मिले तो सफलता कदम चूमकर रहती है। उन्होंने बताया कि किस तरह उन्होंने मां बम्लेश्वरी महिला स्व सहायता समूह के माध्यम से काम को आगे बढ़ाया, किस तरह फेडरेशन का गठन किया गया और किस तरह आज उनके साथ 2 लाख से भी ज्यादा महिलाएं जुड़कर काम कर रही हैं। इन महिलाओं ने बिना कोई ऋण लिये अपनी बचत से ही इतने बड़े बड़े काम कर लिये हैं कि लोग हैरान हैं।
आरंभ में अतिथि का परिचय सहायक प्राध्यापक ममता एस राहुल ने दिया। साक्षात्कार में प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन “लाइट हाउस” के संयोजक सहायक प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने किया। इस अवसर पर फार्मेसी कालेज के प्राचार्य डॉ टिकेश्वर कुमार, नर्सिंग महाविद्यालय के प्राचार्य डैनियल तमिलसेलवन, एमजे कालेज के शिक्षा संकाय की प्रभारी डॉ श्वेता भाटिया, आईक्यूएसी प्रभारी अर्चना त्रिपाठी सहित प्राध्यापकगण उपस्थित थे। ऑनलाइन-ऑफलाइन डुअल मोड पर आयोजित इस कार्यक्रम में 700 से अधिक विद्यार्थी जुड़े हुए थे।