शंकराचार्य महाविद्यालय में अनुवाद दिवस का अभिनव आयोजन
भिलाई। अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के अवसर पर आज श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में अभिनव आयोजन किया गया। इस अवसर पर कवि गुरू रविन्द्रनाथ टैगोर की कृति “जोदी तोर डाक शूने केउ ना आशे तबे एकला चलो रे” को मूल एवं अनूदित रूप में प्रस्तुत किया गया।महाविद्यालय की निदेशक एवं प्राचार्य डॉ रक्षा सिंह ने कहा कि तेजी से सिकुड़ रही दुनिया में अनुवादकों एवं दुभाषियों का महत्व और भी अधिक हो गया है। इससे अलग अलग देश आसानी से एक दूसरे से जुड़ सकते हैं। यह दिवस हमें स्थानीय भाषाओं के संरक्षण का भी संदेश देते हैं।
अतिरिक्त निदेशक डॉ जे दुर्गाप्रसाद राव ने कहा कि यह दिवस अनुवादकों एवं दुभाषियों को एक मंच प्रदान करता है। दुभाषिये और अनुवादक भिन्न भाषियों में संवाद कायम कर सुरक्षा एवं विश्व शांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष डॉ राहुल मेने ने बताया कि 30 सितम्बर को अनुवाद दिवस संत जेरोम की याद में मनाया जाता है। उन्होंने बाइबिल का अनुवाद किया था। 1953 से यह दिवस मनाया जा रहा है। फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रांसलेटर्स इसका आयोजन करता है।
इस अवसर पर एमए प्रथम तथा तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों ने अपनी भावनाओं का मातृभाषा से अंग्रेजी में अनुवाद करके सुनाया। यह आयोजन आभासी मंच पर किया गया जिसमें स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। डॉ नीता शर्मा, श्रेया पॉल, शर्मिष्ठा पवार की विशेष भूमिका रही। डॉ नीता शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया।