बच्ची को डायबिटिक कीटोएसिडोसिस, समय पर पहुंची हाइटेक
भिलाई। गुण्डरदेही की एक 13 साल की बच्ची को पेट दर्द, बेहोशी, पानी की कमी आदि की शिकायतों के साथ हाइटेक अस्पताल लाया गया था। जांच करने पर पहली बार उसके टाइप-1 डायबिटीज होने का खुलासा हुआ। वह डायबिटिक कीटोएसिडोसिस का शिकार थी जो जानलेवा साबित हो सकती थी। समय पर अस्पताल पहुंच जाने के कारण उसकी स्थिति को तत्काल नियंत्रित करने में सफलता मिली और रोगी की जान बच गई।
हाइटेक के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन ने बताया कि डायबिटीक कीटोएसिडोसिस एक ऐसी स्थिति है जब शरीर तीव्र गति से वसा को तोड़ कर कीटोन्स बनाता है। इसके कारण रक्त एसिडिक हो जाता है। यह जानलेवा हो सकता है। इंसुलिन इतना कमजोर होता है कि रक्त शर्करा को कोशिकाओं में नहीं भेज पाता और उसका उपयोग ऊर्जा के निर्माण के लिए नहीं हो पाता। कीटोन्स का निर्माण आमतौर पर व्यक्ति के भोजन करने के काफी बाद होता है। पर इन मरीजों में यह प्रक्रिया तेज हो जाती है।
डॉ मिथिलेश ने बताया कि उन्होंने 13 वर्षीय बालिका को तत्काल आईसीयू शिफ्ट किया। मरीज को ड्रिप के साथ ही एंटीबायोटिक्स, पोटेशियम, ग्लूकोज देकर स्टेबिलाइज किया गया। साथ ही उसे सबक्यूटेनस इंसुलिन दिया गया। मरीज को टाइप-1 डायबिटीज है, इसका पहली बार पता चला था। मरीज की स्थिति तेजी से सुधरती चली गई। पंद्रह दिन अस्पताल में रखने के बाद उसे 6 अक्टूबर को छुट्टी दे दी गई।
मरीज को डायबिटीज पर नजर रखने की सख्त हिदायत देने के साथ ही औषधि समय पर लेने एवं सभी निर्देशों का अक्षरशः पालन करने का निर्देश दिया गया है।