vishisht_parag gives a deep insight into the life of uniformed men

फौजियों के जीवन में ताक-झांक करती है “विशिष्ट पराग”

भिलाई। फौजी का जो अक्स हमारे जेहन में पैबस्त है, वह एक कड़क, मुस्तैद बावर्दी जवान का है. हमने उन्हें या तो खतरों को चुनौती देते देखा है, हंसते-हंसते वतन पर फिदा होते देखा है या फिर तिरंगे में लिपट कर घर लौटते. बंकर-खाई-खंदक-बीहड़ में मुस्कुराते ये चेहरे, पीछे छूट गए अपने गांव और परिवार से कैसे जुड़े रह पाते होंगे? साथी फौजियों से इनका लगाव कैसा होता होगा? विशिष्ट पराग की कहानियां बातों-बातों में फौजी जीवन के ऐसे अनेक अनछुए पहलुओं को स्पर्श करती है.
वर्दी वाली नौकरी का सपना अधिकांश लोगों ने जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर जरूर देखा है. पर यह मौका हर किसी को तो मिलता नहीं. लेखक कोमल के मन में भी वर्दी पहनने की इच्छा थी पर भाग्य ने कलम का सिपाही बना दिया. बस्तर से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत करने वाली कोमल सम्प्रति राजस्थान पत्रिका समूह के भिलाई दफ्तर से जुड़ी हैं. भिलाई लघु भारत भी कहलाता है. शांति, सद्भाव और सौहार्द्र का यह टापू कई मामलों में विशिष्ट है. यहां आपका परिचय आईटीबीपी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी जैसे अर्धसैनिक बलों से भी अनायास हो जाता है. कोमल का सपना इन जवानों के सपनों के साथ मिलकर एकाकार हो गया.
“विशिष्ट पराग” ग्यारह लघु कथाओं का एक संग्रह है. कठिन प्रशिक्षण, कठोर अनुशासन, दुस्साहस, छुट्टी के लिए लंबा इंतजार, भाईचारा, वैवाहिक जीवन, शहादत, आदि फौजी जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं. छोटी-छोटी खुशियों को ये बेपनाह मोहब्बत देते हैं. इस संग्रह में जहां इन भावनाओं का सटीक चित्रण है वहीं रहस्य और रोमांच भी है. बावर्दी जवानों को इन कहानियों में जहां अपनी झलक दिखाई देगी वहीं सिविलियन्स को अपने कई सवालों के जवाब मिल जाएंगे.
देश के कोने-कोने में बिखरी इन कहानियों को सहेजने में कमांडेंट डॉ तारकेश्वर नाथ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए पठनीय और संग्रहणीय है जिनके दिलों में फौजियों के लिए सम्मान है, अपनत्व की भावना है. पुस्तक संख्या ISBN:978-93-5445-705-0 ऑनलाइन उपलब्ध है. अधिक जानकारी के लिए vishishtparag@gmail.com पर ईमेल भेजे जा सकते हैं. @vishishtparag फेसबुक और इंस्टाग्राम @vishishtparag पर भी लेखक से सम्पर्क किया जा सकता है.

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