Kohinoor belonged to the Bastar Kings

एक ऐसा हीरा जो केवल महिलाओं को फलता है

क्या कोई रत्न ऐसा हो सकता है जो लैंगिक विभेद करता हो? वह जिस स्त्री के पास रहे वह तो शक्तिशाली हो जाए पर यदि किसी पुरुष के पास जाए तो उसका सर्वनाश कर दे? एक ऐसा ही रत्न इतिहास में बहुत मशहूर हुआ है. गोलकुण्डा की खदानों से निकला एक हीरा लैंगिक विभेद के लिए मशहूर रहा है. इसे हम कोहीनूर के नाम से जानते हैं. इस हीरे का यह नामकरण मुगल शासकों ने किया था. भारत में यह हीरा अनेक शासकों के तख्तापलट का कारण रहा है. पर जब यही हीरा ब्रिटेन की महारानी के मुकुट में जड़ा गया तो उसका राजपाट पूरी दुनिया में फैल गया.

Pic credit Amarujala

रानी की जगह उसका मुकुट ही उसकी उपस्थिति दर्ज कराता रहा. मुकुट ने ही लंबी यात्राएं कीं और लोग उसके आगे नतमस्तक होते रहे. इस हीरे का नाम है कोहीनूर. 105.6 कैरेट का कोहीनूर दुनिया का सबसे बड़ा हीरा है. इसका वजन 21.6 ग्राम है. इसका अनुमानित मूल्य लगभग 150 हजार करोड़ रुपए है. आंखें चौंधिया देने वाली अपनी चमक और अलौकिक बनावट के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध नायाब कोहिनूर कई मौतों की वजह रहा है. दावा किया जाता है कि कोहिनूर हीरा तेलंगाना के गोलकुंडा खदान में मिला था. उन दिनों तेलंगाना का वारंगल राज्य चालुक्य काकतीय वंश के आधिपत्य था. काकतीय वंश के रुद्रदेव प्रथम ने इस्वी सन 1158 से 1195, महादेव ने 1195 से 1198, गणपतिदेव ने 1199 से 1261, रुद्रमा देवी ने 1262 से 1289, प्रतापरुद्रदेव या रुद्रदेव द्वितीय ने 1289 से 1323 तक शासन किया. सन 1303 में अलाउद्दीन खिलजी के गुलाम मलिक काफूर ने इस हीरे को लूट लिया या चुरा लिया. प्रताप रूद्रदेव अपने भाई अन्नामदेव और बहन रैला देवी के साथ वारंगल से भाग कर बस्तर आ गए. इसका उल्लेख वारंगल गजेटियर में है. बाद में मुगल शासन ने इसे अंग्रेजी हुकूमत को भेंट कर दिया. प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय रामचंद्र सिंहदेव की प्रेरणा से बस्तर महाराजा कमलचंद भंजदेव राज ने इस नायाब हीरे को भारत वापस लाने के प्रयास तेज किये गये. इसका दावा पेश करने के लिए कोहिनूर से जुड़े दस्तावेज इकट्ठा किये जा रहे हैं. बहुत से कागजात मिल चुके हैं. वारंगल गजेटियर के अलावा अन्य सूत्रों से भी दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं. कागजात पर्याप्त होते ही भारत सरकार के माध्यम से दावा प्रस्तुत किया जाएगा. बता दें कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 वर्ष की आयु में हाल ही निधन हुआ है. किवदंती है कि कोहिनूर किसी महिला के सिर सुशोभित होता है तो वह ताकतवर शासक बन जाती है, लेकिन इसे कोई पुरुष धारण करें तो उसका अस्तित्व ही मिट जाता है.

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