Injury during hystectomy jeopardized patients life

जब से बच्चेदानी निकाला, पेशाब का रास्ता ही बदल गया, आरोग्यम में हुआ इलाज

भिलाई। चिकित्सकीय लापरवाही का ऐसा खामियाजा एक 45 वर्षीय महिला को भुगतना पड़ा कि उसकी जान पर बन आई. उसने बार-बार अपनी तकलीफ की शिकायत की पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. अंततः उसे आरोग्यम लाया गया जहां मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नवीनराम दारुका ने उनकी जांच की. दरअसल बच्चेदानी निकालने के दौरान मरीज के मूत्राशय में छेद हो गया था. इसमें मूत्रमार्ग से कैथेटर डालकर ब्लैडर की जांच की जाती है. मरीज को वैसिकोवैजिनल फिस्टुला था.
सोमबाई निर्मलकर को हल्के स्राव की परेशानी थी. जब डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने बच्चेदानी को निकालने का परामर्श दिया. तीन बच्चों की मां सोमबाई को इसमें कोई परेशानी नहीं थी. 12 मई 2022 को आपरेशन से उसकी बच्चेदानी निकाल दी गई. सिलाई कटने के बाद भी मगर एक समस्या बनी रही. पेशाब के रास्ते से पेशाब आना बंद हो गया था. पेशाब लगातार योनी मार्ग से ही आता रहता था. उसने डाक्टरों से भी सलाह मशविरा किया तो इसी किसी यूरोलॉजिस्ट को दिखाने की सलाह दी गई.
थक कर सोमबाई अपने पति ललित निर्मलकर के साथ बेमेतरा से भिलाई पहुंची और यहां आरोग्यम सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से सम्पर्क किया. जांच करने पर यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन राम दारुका ने पाया कि बच्चेदानी निकालने के समय मरीज के मूत्राशय को क्षति पहुंची थी जिसपर ध्यान नहीं दिया गया था. 29 जुलाई को मरीज की सिस्टोस्कोपी की गई. इसमें मूत्रमार्ग से कैथेटर डालकर ब्लैडर की जांच की जाती है. मरीज को वैसिकोवैजिनल फिस्टुला था. यह मूत्राशय एवं योनीमार्ग के बीच एक असामान्य छिद्र होता है. इससे मूत्र रिसकर योनी में आ जाता है और वहां से डिस्चार्ज होता रहता है. इसे दूरबीन पद्धति से ही बंद कर दिया गया. मरीज अब पूरी तरह ठीक है और जल्द ही उसकी छुट्टी कर दी जाएगी।

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