SSSSMV students visit heritage sites

स्वरूपानंद के विद्यार्थियों ने किया राजिम, चंपारण और चंदखुरी का भ्रमण

भिलाई. स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में गीता जयंती के अवसर पर कला विभाग के विद्यार्थियों ने भारतीय संस्कृति और शिल्प के अनूठे संगम राजिम ,चंपारण एवं चंदखुरी शैक्षणिक भ्रमण किया. कार्यक्रम संयोजिका डॉ सावित्री शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ऐतिहासिक पहचान लिए यह स्थान अपनी भव्यता एवं वास्तु कला के लिए प्रसिद्ध है एवं छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र भी है विद्यार्थियों को ऐसे भ्रमण से प्रत्यक्ष नवीन ज्ञान की प्राप्ति होती है.
राजिम का प्रसिद्ध राजीव लोचन मंदिर पंचायतन शैली में बना सातवीं शताब्दी का पुरातात्विक महत्व का मंदिर है. 12 खंभों से सुसज्जित महा मंडप में भव्य मूर्तिकला का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है. यह दक्षिण कौशल का सबसे बड़ा सनातन तीर्थ स्थल के रूप में चिन्हित रहा है, क्योंकि यह त्रिवेणी संगम पर बसा है. इसी कारण इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है. संगम के मध्य में प्राचीन कुलेश्वर महादेव मंदिर है. प्राप्त शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण नंदवंशी नरेश विलासतुम ने कराया था. विद्यार्थियों ने शिलालेख का भी अवलोकन किया. विद्यार्थियों ने गीता जयंती के अवसर पर यहां आयोजित विशेष पूजा अर्चना एवं प्रवचन का लाभ प्राप्त किया.
चंपारण संत महाप्रभु वल्लभाचार्य जी की जन्मस्थली है, जो वल्लभ संप्रदाय के संस्थापक एवं सुधारक थे. ब्रज धाम की तरह चंपारण का विशेष महत्व है. जगतगुरु की उपाधि प्राप्त महाप्रभु ने यहां श्रीमद्भागवत गीता का पारायण किया था. यहां चैंपेश्वर महादेव मंदिर एवं वल्लभाचार्य बैठक विशेष आकर्षण का केंद्र है. विद्यार्थियों ने यहां चित्र प्रदर्शनी शाला का अवलोकन किया, जहां संपूर्ण जीवन काल की घटनाओं का सचित्र वर्णन किया गया है विशेष तौर पर भागवत गीता एवं कृष्ण संदेशों से उल्लेखित इस स्थान की नयनाभिराम भव्यता आकर्षण का केंद्र है.
भगवान श्री राम के ननिहाल चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर 10 वीं शताब्दी में निर्मित है. राम वन गमन पथ छत्तीसगढ़ की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर है ,क्योंकि यह विश्व का इकलौता कौशल्या माता मंदिर है.
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा एवं प्राचार्य डॉ हसा शुक्ला ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण से निसंदेह विद्यार्थी लाभान्वित होंगे एवं स्थाई ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ होंगे. गीता जयंती के अवसर पर आयोजित यह यह शैक्षणिक भ्रमण एक सार्थक प्रयास है.
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ मंजू कनौजिया, क्रीड़ा अधिकारी मुरली मनोहर तिवारी, संयुक्ता पाढ़ी, निधि शर्मा, गोल्डी राजपूत, हितेश सोनवानी एवं अन्य अशैक्षणिक स्टाफ का विशेष योगदान रहा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *