हाइटेक में VATS पद्धति से किया फेफड़े की गांठ का उपचार
भिलाई। हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक मरीज के फेफड़ों की गांठ का उपचार वीडियो एसिस्टेड थोराकोस्कोपिक सर्जरी VATS पद्धति से किया गया. सर्जरी के तीन माह बाद जब वह पिछले सप्ताह रुटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंची तो वह पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी. उसे अब कोई तकलीफ नहीं है. फेफड़ों की एक्स-रे पूरी तरह से साफ और स्वच्छ थे.
मरीज की सर्जरी करने वाले जनरल एवं लोप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि नीरा बाई जायसवाल का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया गया. सितम्बर में जब मरीज सीने में दर्द और खून की उलटियों की शिकायत लेकर पहुंची थी. मरीज ने बताया था कि उसे बीच-बीच में घबराहट महसूस होती थी. सांस लेने में तकलीफ होती थी. कई बार उल्टियां तक हो जाती थीं. सीने में बहुत तेज दर्द होता था.
डॉ नवील शर्मा ने बताया कि जांच करने पर उसके फेफड़ों में हाइडेटिड सिस्ट पाये गए. इकाइनोकॉक्कस कृमि जब मनुष्य के शरीर में पहुंचता है तो लिवर और फेफड़ों में अपने लार्वा बनाता है. इसके कारण एक पुटक (सिस्ट) बन जाता है. मरीज की सर्जरी का निर्णय लिया गया. हाइटेक में VATS की अत्याधुनिक तकनीक उपलब्ध है जिसे उपयोग में लाया गया. मरीज को भर्ती करने के तीसरे दिन उसकी सर्जरी कर दी गई. मरीज की हालत में इसके साथ ही तेजी से सुधार होने लगा. छाती में दर्द और सांस की तकलीफ भी जाती रही.
नीरा बाई जायसवाल इसके बाद नियमित रूप से जांच के लिए आती रही है. जनवरी में जब वह जांच के लिए आई तो पुनः उसका एक्सरे लिया गया. अब उसके फेफड़ों पर कोई दाग-धब्बा नहीं है.