Pre Wedding Photo Shoot risks

गुस्ताखी माफ : जब प्री वेडिंग फोटोशूट बन जाए गले की फांस

अकादमी में पढ़ने के दौरान दोनों की दोस्ती हुई. बाद में परिवार वालों ने आपस में बातचीत कर दोनों का विवाह तय कर दिया. दोनों तरफ जबरदस्त उत्साह का माहौल था. लंबी चौड़ी प्लानिंग शुरू हो गई. डेस्टिनेशन वेडिंग तय हुआ. सबको लेकर जाने और वहां ठहरने का पूरा बंदोबस्त किया गया. इसी का एक हिस्सा था – प्री वेडिंग फोटोशूट Pre-Wedding-Shoot. इसके लिए भी चार लोकेशन तय किये गये. फोटो और वीडियो शूट के लिए एक एजेंसी को हायर किया गया. तीन-चार लोकेशन में तो खूब मौज मस्ती के साथ फोटोशूट पूरा हो गया पर जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ते गए डिमांड बढ़ती चली गई और अंत में बात तनातनी तक जा पहुंची. दोनों ने चुप्पी साध ली और अंतिम डेस्टिनेशन कैंसल कर घर लौट आए. शीतयुद्ध का दौर शुरू हुआ. दोनों ही पक्ष मजबूत थे, अतः किसी ने भी चुप्पी तोड़ने की पहल नहीं की और शादी टूट गई. साल-छह महीना बीता और नई जोड़ी ढूंढने की कवायद शुरू हो गई. जल्द ही एक और जगह बात पक्की हो गई. सबकुछ फाइनल हो गया पर विवाह से ठीक पहले लड़के वालों ने मना कर दिया. कारण पूछने पर उन्होंने कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें व्हाट्सअप पर भेज दीं. यह फोटो प्री-वेडिंग शूट का हिस्सा थे. हालांकि एजेंसी ने फोटो और वीडियो बाद में लड़की वालों को ही सौंपा था पर बहुत सारी तस्वीरें मोबाइल पर भी खींची गई थीं. इन फोटोग्राफ्स के बारे में सभी भूल गए थे. पहला रिश्ता तोड़ने के बाद यही फोटोग्राफ्स दूसरा रिश्ता भी तोड़ बैठे. शायद यही वजह है कि छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने कुछ समय पूर्व प्री-वेडिंग फोटोशूट को लेकर सावधान किया था. उन्होंने कहा था कि प्री वेडिंग शूट को लड़कियों के भविष्य के लिए खतरनाक बताया था साथ ही लड़की वालों को भी आगाह किया था कि वे इसे बढ़ावा न दें. दरअसल, इसी तरह का एक मामला आयोग के सामने आया था. पर किसी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया. इन दो मामलों में तो बात विवाह तक पहुंची भी थी, हजारों मामले ऐसे भी हैं जहां कोरे रिलेशनशिप में इस तरह की फोटोग्राफी का चलन हो गया है. लोग रिलेशनशिप के हर पल को फोटो-वीडियो में कैद करना चाहते हैं. जिस तेजी से रिलेशन बनते हैं, उससे भी कहीं ज्यादा तेजी से ब्रेकअप होते हैं. तब यही चंद तस्वीरें जी का जंजाल बन जाती हैं. कभी-कभी मामला पुलिस तक भी पहुंच जाता है. डिजिटल युग में ऐसे फोटोग्राफ्स का नामोनिशान मिटा पाना काफी कठिन होता है. भारतीय समाज भले ही पश्चिम के रंग में रंग गया हो पर कुछ मामलों में अभी भी उसके खयालात दकियानूसी ही हैं. हमारे पैर पाले के दोनों तरफ हैं. हम बातें चाहें जितनी भी बड़ी-बड़ी कर लें, आज भी अपने पार्टनर के एक्स को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते. इसलिए सावधान रहने में ही भलाई है.

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