MJ College Orientation programme

एमजे कालेज के विद्यार्थियों को फैशन डिजाइनिंग व ब्यूटीशियन करियर के टिप्स

भिलाई। एमजे कालेज में नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आयोजित ओरिएन्टेशन एवं मोटिवेशन कार्यक्रम के अंतिम दिन आज ब्यूटीशियन अनु सिंह एवं आईएनआईएफडी की डिजाइनर कंचन ने महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. विद्यार्थियों को बताया गया कि अपनी औपचारिक शिक्षा के साथ ही बच्चों को रोजगारमूलकर हुनर सीखने की भी जरूरत है जिसमें वे रोजगार, स्वरोजगार प्राप्त कर सकते हैं. जॉब सीकर से जॉब गिवर बन सकते हैं.
ब्यूटीशियन एवं व्यक्तित्व विकास कोच अनु सिंह ने बताया कि एक हॉकी प्लेयर थीं. एक बार किसी ने कहा दिया कि उनके जैसी लड़कियां ब्यूटशियन नहीं बन सकती हैं. बस फिर क्या था उन्होंने चुनौती को स्वीकार किया. सीखने और किसी मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया और आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं. उन्होंने कहा कि ब्यूटिशियन का कोर्स करने के बाद रोजगार के सभी विकल्प खुल जाते हैं. नौकरी करने के अलावा, अपना सलून खोलना या फिर फ्रीलांसर बनने का ऑप्शन मिल जाता है. यदि आप अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं तो आपकी यह इच्छा केवल हुनर ही पूरी कर सकती है.


फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में करियर के ऑप्शन्स बताने के साथ ही आईएनआईएफडी की कंचन ने विद्यार्थियों को ब्लॉक प्रिंटिंग की विधा सिखाई. बच्चों ने इसे स्वयं भी करके देखा. संस्था द्वारा 1 अगस्त को एक मेगा शो का आयोजन किया जा रहा है. इसमें एमजे कालेज के विद्यार्थियों को भी आमंत्रित किया गया.


आरंभ में एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने विद्यार्थियों को विनम्रता और वाकपटुता का महत्व समझाया. उन्होंने कहा कि जब युद्ध में लक्ष्मण मूर्च्छित हो गये तो वैद्य सुषेण ने संजीवनी बूटी की जरूरत बताई. यह बूटी हिमालय में मिलती थी और युद्ध श्रीलंका में हो रहा था. संजीवनी बूटी को सुबह होने से पहले लाकर लक्ष्मण को दवा दी जानी थी. ऐसे में श्री हनुमान ने अपनी क्षमताओं को दरकिनार करते हुए भगवान सूर्य से विनम्र आग्रह किया कि जब तक वे लौट कर नहीं आ जाते, वे सुबह न होने दें. सूर्यदेव ने इसे स्वीकार कर लिया और हनुमान संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाने का कार्य सिद्ध कर पाए. उन्होंने कहा कि विनम्रता वह हथियार है जिससे असंभव लगने वाले कार्य भी सिद्ध हो सकते हैं.
अंतिम दिन का अंतिम सत्र मोटिवेशनल स्पीकर दीपक रंजन दास ने लिया. उन्होंने कहा कि सफलता और विफलता के बीच सिर्फ 24 घंटे का फासला होता है. जिन कार्यों को आप कल शुरू करने वाले हो उन्हें आज शुरू करने की आदत डाल लो तो कार्य प्रारंभ हो जाते हैं. कार्य प्रारंभ होते हैं तो सफलता भी मिलकर रहती है. टालू प्रवृत्ति सपनों को कभी धरातल पर उतरने नहीं देती.
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे, उप प्राचार्य डॉ श्वेता भाटिया, वाणिज्य विभाग के एचओडी विकास सेजपाल, कम्प्यूटर साइंस के एचओडी प्रवीण कुमार सहित प्राध्यापक एवं विद्यार्थीगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन बायोटेक्नोलॉजी विभाग की एचओडी सलोनी बासु ने किया. अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने किया.

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