हाईस्कूल पास इस बुजुर्ग में पढ़ाने का ऐसा जज्बा कि सब करते हैं सलाम
गरियाबंद. 75 साल के दिवाधर चूरपाल अपने आंगन में बच्चों को निःशुल्क पढ़ाते हैं. पिछले पांच साल से यह क्रम बना हुआ है. फिलहाल पहली से छठवीं तक के 25 बच्चे उनके पास नियमित रूप से आते हैं. पूरा गांव उनका सम्मान करता है. बीईओ देवनाथ बघेल ने कहा कि चूरपाल का सम्मान किया जाएगा. गांव के पढ़े-लिखे लोग शिक्षा दान करें, इसके लिए विद्यांजलि योजना भी चलाई जा रही है.
गरियाबंद जिले के देवभोग स्थित कोडकीपारा पंचायत के आश्रित ग्राम सरगी बेहली में रहने वाले दिवाधर चूरपाल इस गांव के पहले सरपंच भी रहे हैं. 

हाईस्कूल की परीक्षा पास करने के बाद उनकी शिक्षक की नौकरी भी लगी थी. पर पारिवारिक कारणों से उसे छोड़ना पड़ा. बुजुर्ग का कहना है कि प्रमोशन पद्धति ने शिक्षकों को आलसी बना दिया है. ऊपर से पढ़ाने के अलावा अतिरिक्त जिम्मेदारी ने भी उसके अध्यापन कौशल को प्रभावित किया है. बच्चों में सीखने की ललक होती है, बस सिखाने वाला चाहिए. जब यह बात समझ में आई तो उन्होंने दो वक्त समय निकालकर गांव के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया.
दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक दिवाधर चूरपाल ने 1965 में 11वीं पास की। 1973 में उनकी शिक्षक के तौर पर नौकरी लगी. 1978 से 1982 तक वे सरपंच रहे. 1982 से 1988 तक देवभोग जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष बने और फिर कांग्रेस संगठन में भी बड़े पदों पर काम किया.













