Critical twin saved at Hitek Hospital

हाइटेक हॉस्पिटल की पेडियाट्रिक टीम ने बचाई जुड़वां नवजातक की जान

भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञों की टीम ने पांच दिन की कड़ी मशक्कत के बाद श्रीमती मेनका के परिवार को खुशियां लौटा दीं. इसी माह के आरंभ में मेनका को प्रसूति के लिए अस्पताल (हाइटेक नहीं) में दाखिल कराया गया था. 2 अगस्त को मेनका ने एक के बाद एक, दो शिशुओं को जन्म दिया. इनमें से एक की लगभग तत्काल मृत्यु हो गई जबकि दूसरे की स्थिति भी गंभीर थी. उसे तत्काल हायर सेन्टर हाइटेक हॉस्पिटल रिफर कर दिया गया.
हाइटेक के शिशु रोग विभाग के प्रमुख डॉ मिथिलेश देवांगन ने बताया कि 5 अगस्त को शिशु को हाइटेक लाया गया. शिशु का शरीर ठंडा पड़ रहा था, रक्त में शर्करा की मात्रा बहुत कम हो चुकी थी तथा शिशु सेप्टिक शॉक में था. यही नहीं शिशु को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी. इन सभी जटिलताओं के चलते आंतरिक रक्तस्राव हो रहा था. शिशु का प्लैटेलेट्स काउंट भी काफी कम हो गया था.
डॉ मिथिलेश देवांगन ने बताया कि तत्काल विशेषज्ञों एवं सीनियर नर्सों की टीम बनाकर शिशु को बचाने के प्रयास शुरू कर दिये गये. शिशु का आक्सीजन सैचुरेशन 75 से नीचे आने लगा था तथा हार्ट रेट 180 तक जा पहुंचा था. शिशु को तत्काल सीपैप पर डाला गया. शिशु को सेन्ट्रल लाइन पर लेकर रक्तचाप बढ़ाने की दवाएं शुरू की गईं. प्लैटेलेट्स की कमी को देखते हुए तीन बार प्लैटेलेट्स चढ़ाया गया. शिशु को हायर एंटीबायोटिक्स पर रखा गया.
डॉ देवांगन ने बताया कि 5-6 दिन बाद जाकर शिशु खतरे से पूरी तरह बाहर था. हम मेनका और उसके परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरने में कामयाब हो गए थे. अब शिशु आक्सीजन सपोर्ट पर नहीं है और मजे से मां का दूध पी रहा है. उसका वजन भी सुधर गया है.

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