Doodhadhari Math Raipur

इकलौता मंदिर जहां अपने सभी भाइयों के साथ विराजे प्रभु श्रीराम

रायपुर. संभवतः देश का यह एकमात्र मंदिर है जहां प्रभु श्रीराम अपने सभी भाइयों के साथ विराजे हैं. मंदिर में एक तैरती शिला भी है जिसे रामेश्वरम से लाकर यहां स्थापित किया गया था. ऐसी शिलाओं से ही त्रेतायुग में रामसेतु का निर्माण किया गया था. लगभग 466 साल पुराना यह मंदिर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है. इस मंदिर को दूधाधारी मठ के नाम से जाना जाता है.
महामाईपारा स्थित श्री दूधाधारी मठ का निर्माण 1554 में राजा रघुराव भाेसले ने महंत बलभद्र दासजी के लिए कराया था. यहां बालाजी मंदिर, वीर हनुमान मंदिर और राम पंचायतन मंदिर प्रमुख हैं. इन मंदिरों में मराठाकालीन पेंटिंग आज भी देखी जा सकती है. मठ में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान की प्रतिमाएं श्रद्धालुओं को आकर्षित करतीं हैं. मठ में दक्षिण मुख वाला शंख, पानी में तैरती रामशिला आकर्षण का केंद्र है. सीता और अनुसूइया रसोई में आज भी भोग बनता है. महंत बलभद्र की समाधि, गोशाला भी स्थापित है.
दूधाधारी मठ के महंत रामसुंदर दास ने बताया कि मठ के संस्थापक महंत बलभद्र दास हनुमानजी के बड़े भक्त थे. एक पत्थर को हनुमान मानकर श्रद्धाभाव से उसकी पूजा-अर्चना करने थे. उन्होंने अन्न का त्याग कर दिया था. वह अपनी गाय सुरही के दूध से हनुमानजी की प्रतिमा को नहलाते थे, फिर उसी दूध का सेवन करते थे. यही उनका एकमात्र आहार था. उनकी स्मृति में ही मठ का नाम दूधाधारी मठ पड़ गया.
एक दिन महंत बलभद्र अचानक अंतरध्यान हो गए. शिष्यों ने बताया कि उन्होंने महंत जी को सुबह टहलते देखा था. लंबे समय तक जब वे कहीं नहीं मिले तो सबने मान लिया कि उन्होंने समाधि ले ली है. उनका समाधि स्थल भी बनवाया गया.
मठ के प्रांगण में तीन मुख्य मंदिर हैं. राम जानकी मंदिर, श्री बालाजी मंदिर और हनुमान मंदिर. हनुमानजी मठ के इष्टदेव माने जाते हैं. राम जानकी मंदिर का िनर्माण पुरानी बस्ती में रहने वाले दाऊ परिवार ने कराया था. वहीं, बालाजी मंदिर का निर्माण नागपुर के भोसले वंश ने कराया था. मान्यता है कि वनवास के दौरान श्रीराम ने यहां विश्राम किया था.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *