रामशीला की कुटिया में उत्कल शिक्षा मिशन ने वृद्धजनों के साथ बिताया दिन
भिलाई। उत्कल शिक्षा मिशन सेवा समिति के सदस्यों ने आज रामशीला की कुटिया वृद्धाश्रम में परित्यक्त बेसहारा वृद्धजनों से मुलाकात की. उपस्थित प्रबुद्धजनों ने इस अवसर पर वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए स्थिति में सुधार के लिए अपने-अपने सुझाव भी दिये. स्व. माधव महानंद एवं स्व मंजु जाल की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में आश्रमवासियों की सेवा भी की गई.
एसईसीएल के पूर्व वरिष्ठ प्रबंधक एस.डी. सेन के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस कार्यक्रम में विवेकानंद विद्यापाठी के पूर्व प्राचार्य डॉ सीआर मालवीय, अपोलो हॉस्पिटल के पूर्व मार्केटिंग मैनेजर प्रभाकरण बख्शी, शिवांश इंडस्ट्रीज के डायरेक्टर हरिश चंद्र विश्वकर्मा, बीएलएस के डायरेक्टर बिसेलाल साहू, उत्कल शिक्षा मिशन सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेश महानंद, जितेन्द्र ताण्डी, नीलम जाल, यूनूस जाल, एशीब जाल, दुर्वासा नाग, सुरेश नाडार, वीरमनी महानंद, सुशीला महानंद, महेश महानंद आदि उपस्थित थे. संचालन वरिष्ठ पत्रकार दीपक रंजन दास ने किया. धन्यवाद ज्ञापन सुरेश महानंद ने किया.
स्व. महानंद एवं मंजू जाल की तस्वीरों पर माल्यार्पण पश्चात अतिथियों ने वृद्धजनों की कठिनाइयों एवं उनकी सेवा से जुड़ी चुनौतियों पर अपनी बात रखी. मुख्य अतिथि श्री सेन ने कहा कि लगातार बढ़ती जा रही बुजुर्गों की संख्या और उसके साथ कदमताल करती वृद्धाश्रमों की संख्या भविष्य को लेकर आशंकित करती है. इनकी सेवा के लिए प्रकल्प की स्थापना करना निश्चय ही एक चुनौती पूर्ण कार्य है जिसके लिए रामशीला की कुटिया की सराहना की जानी चाहिए.
डॉ मालवीय ने इस अवसर पर कहा कि बचपन से बुढ़ापे तक प्रत्येक इंसान एक चक्र में से गुजरता है. हमें अपने बच्चों में अपने बुजुर्गों की देखभाल के लिए चेतना जागृत करनी होगी. श्री बख्शी ने कहा कि आज हम बच्चों की परवरिश तो कर रहे हैं पर उन्हें संस्कारित करने में चूक रहे हैं. यदि हम अपने बुजुर्गों की सेवा कर बच्चों के सामने अच्छा उदाहरण पेश करते हैं तो बच्चे भी आगे चलकर अपने बुजुर्गों की देखभाल करेंगे. श्री विश्वकर्मा ने कहा कि अपनी पूरी संपत्ति अपने बच्चों के नाम ट्रांसफर करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. जब तक ताकत आपके हाथ में है, कोई आपकी उपेक्षा या अवहेलना नहीं कर सकता.
इस अवसर पर वृद्धजनों के साथ ही सभी अतिथियों ने साथ-साथ सुबह का नाश्ता किया. अतिथियों के हाथ से स्व. महानंद एवं स्व. मंजू जाल की स्मृति में आश्रमवासियों को वस्त्र भी प्रदान किये गये.