गुस्ताखी माफ : अभी तुमको मेरी जरूरत नहीं… बहुत चाहने वाले
फिल्म पूरब और पश्चिम का एक मशहूर गीत है … अभी तुमको मेरी जरूरत नहीं… बहुत चाहने वाले मिल जाएंगे… यह दर्द हर उस पुरुष का है जिसे उसकी प्रेमिका या पत्नी केवल इसलिए छोड़ जाती है कि उसे उससे बेहतर कोई मिल गया है. यही दर्द एक बार फिर छलका है राष्ट्रीय स्तर के बॉडीबिल्डर सचिन सिंह की बातों में. एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने दिल का दर्द साझा किया है. उनकी पत्नी दिव्या काकरान ने एक सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अलग होने का फैसला पोस्ट किया. यह एक अरेंज्ड मैरिज था. दिव्या एक अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवान हैं. सचिन और दिव्या के पिता अच्छे दोस्त हैं. दिव्या ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि वो अपने पति से अलग हो रही हैं. हालांकि अभी तलाक की अर्जी नहीं लगाई है. इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सचिन ने अखबार को बताया कि जो नायब तहसीलदार हो, जिसके पास नेम, फेम हो, उससे कौन नहीं शादी करेगा? उसके लिए लड़कों की कमी है क्या? बड़ा फैसला मेरे लिए हो सकता है, सामने वाले के लिए नहीं. उसके पास 100 ऑप्शन हैं. पर मैं जिससे एक बार जुड़ता हूं, जिंदगी भर उसी से जुड़ा रहता हूं. एक मेरा डॉगी था, जिसको गुजरे हुए काफी समय हो गया. लेकिन, आज भी मुझे उसकी याद आती है. मेरी हर प्रोफाइल फोटो में वो आज भी है. जिसको हमने अपना लिया तो अपना लिया. सचिन का दर्द सच्चा हो सकता है, पर मौजूदा दुनिया में ऐसी कोरी भावुकता के लिए कोई जगह नहीं है. मौजूदा दौर ‘मूव ऑन’ करने का है. पर हर किसी का दिल सचिन की तरह बड़ा नहीं होता. कुछ लोग यह चोट सह नहीं पाते. ऐसे मामलों का अंत अक्सर हिंसा के रूप में सामने आता है. कोई खुद को मिटा देता है तो कोई बदला लेने को आतुर हो जाता है. ऐसी खबरें आए दिन पढ़ने-सुनने को मिल जाती हैं जिसमें पति ने पत्नी की या पत्नी ने पति की हत्या कर दी. दरअसल, रिश्तों में भावनाएं अब खत्म हो रही हैं. बात सिर्फ पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका की नहीं है. भाई-बहन, माता-पिता के साथ रिश्ते भी अब दरकने लगे हैं. रिश्ते अब जरूरत से शुरू होते हैं और जरूरत पर ही खत्म हो जाते हैं. माता-पिता की इज्जत भी तभी तक रहती है जब तक बच्चे उनपर आश्रित होते हैं. जैसे ही वो अपने पैरों पर खड़े हो जाते हैं, माता-पिता पर अपने फैसले थोपना शुरू कर देते हैं. पत्नी यदि पति पर आश्रित हो तो वह उसे छोड़ने की बात नहीं करती. रो-धोकर गुजारा कर लेती है. पर जब पति-पत्नी दोनों के पास अपना-अपना नेम-फेम हो तो जरूरत का रिश्ता खत्म हो जाता है. भारत में ऐसा हम सेलेब्रिटी जगत में देखते हैं, पश्चिम में यह घर-घर की कहानी है. है तो इंसान भी पशु ही, कब तक रिश्तों को ढोए.