ग्रीष्मकालीन धान के बदले दलहन-तिल्हन, पानी की जरूरत कम
ग्राम अरकार के किसान ले रहे हैं ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य फसल
बालोद। जिले के गुरूर विकासखण्ड के ग्राम अरकार अब ग्रीष्मकालीन धान के बदले अन्य दलहनी-तिलहनी फसल लेकर खेती के नये स्वरूप के लिए मिसाल बन रहा है। उप संचालक कृषि ने बताया कि ग्राम अरकार का भौगोलिक क्षेत्रफल 918.71 हेक्टेयर है, जिसमें से लगभग 698.38 हेक्टेयर भूमि में कृषि कार्य किया जाता है। जिसमें विगत 50 वर्षों से ग्रीष्मकालीन धान फसल लिया जा रहा था। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में कृषकों द्वारा 25 हेक्टेयर में दलहन-तिलहन का फसल लिया था किंतु इस वर्ष 2025 में 16 कृषकों द्वारा 60 हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन धान के बदले गेंहू, चना, बटरी, कुसुम, सरसो, धनिया एवं साग सब्जी फसल ले रहे है। इस तरह इस वर्ष 2025 में गतवर्ष की तुलना में 35 हेक्टेयर में धान के बदले अन्य फसल लेने में वृद्धि हुई है। इस प्रकार ग्राम अरकार के कृषकों द्वारा फसल चक्र परिर्वतन कर जल संरक्षण पर जोर देकर ग्रीष्मकाल में पेयजल सुरक्षित करने की दिशा में सराहनीय कार्य कर रहे है। कृषकों द्वारा उपार्जित दलहन-तिलहन फसलों की खरीदी हेतु भारत सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) अंतर्गत प्राईस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत अधिसूचित खरीफ एवं रबी दलहनी-तिलहनी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हेतु जिले में 18 उपार्जन केन्द्रों का चयन किया गया है। जहाँ कृषक अपने दलहनी-तिलहनी फसलों का विक्रय कर अधिक से अधिक लाभ उठा सकतें है।
उल्लेखीनय है कि गुरुर विकासखण्ड में भूमिगत जल का अत्याधिक दोहन होने के कारण जल संकट बढ़ा है जिससे विकासखण्ड गुरुर क्रिटिकल जोन में है। यहाँ ग्रीष्मकाल में पेयजल के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। जिसको दुष्टिगत रखते हुए जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के अथक प्रयासों से इस वर्ष ग्राम अरकार के कृषकों के मध्य जल संरक्षण एवं जन भागीदारी व फसल चक्र परिवर्तन के संबंध में कृषक चैपाल भी आयोजित किया जा रहा है। जिसमेें किसानों को ग्रीष्मकालीन फसल धान के बदले अन्य फसल गेंहू, मक्का, चना, कुसुम सरसों अन्य दलहनी तिलहनी फसलों के विस्तार हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही कृषकों को कृषि विभाग द्वारा बीज वितरण कर शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से भी लाभान्वित भी किया जा रहा है।
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