जब वृद्धा के गले में ही अटक गई, कथित आयुर्वेद की गोली
भिलाई। ऐसा भी कभी-कभी होता है। मामूली तकलीफ के लिए खाई गई दवा ही नई मुसीबत लेकर आ जाती है। अकसर ऐसा परेशानी दवा के साइड इफेक्ट या किसी दूसरी बीमारी के उभर आने के कारण होती है पर यह मामला अलग था। लगभग 80 साल की इस वृद्ध कोई आयुर्वेदिक दवा ले रही थी। एक बार औषधि की गोली (टिकिया) गले से नीचे उतरी ही नहीं। जब इंडोस्कोप से भी उसे निकाला या आगे बढ़ाया जाना संभव नहीं हुआ तो उसे हाईटेक रिफर कर दिया गया।
हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के ईएनटी सर्जन डॉ अपूर्व वर्मा ने बताया कि महिला को पहले गैस्ट्रो विशेषज्ञ डॉ आशीष देवांगन को दिखाया गया। एंडोस्कोपिक जांच के बाद उनका फैसला था कि इसलिए लिए रिजिड स्कोप की जरूरत पड़ेगी। तब उसे ईएनटी को रिफर किया गया। डॉ वर्मा बताते हैं कि दवा की यह गोली ईसोफैगस (घेंघा) के मध्यभाग में फंसी हुई थी। रिजिड ईसोफैगोस्कोप की मदद से गोली को निकाला गया।
डॉ वर्मा ने बताया कि यह एक बेहद विरल मामला था। गोली को देखकर ऐसा लगता था कि किसी अत्यंत ठोस वस्तु को काली रंग की किसी वस्तु से लेप दिया गया था। गले में लंबे समय तक रहने के बाद भी यह गला या विघटित नहीं हुआ था। बहारहाल, महिला की स्थिति में तत्काल सुधार होने लगा। कुछ देर बाद ही उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ वर्मा ने बताया कि हाईटेक अस्पताल में गले में फंसी वस्तुओं को निकालने के मामले आते ही रहते हैं। थोड़ी दिक्कत तब होती है जब वस्तु लंबे समय तक फंसी रह जाती है और धीरे-धीरे गले में धंसने लगती है। सूजन एवं संक्रमण के कारण उन्हें निकालना थोड़ा मुश्किल होता है और मरीज को ठीक होने में वक्त भी ज्यादा लगता है। इसलिए शंका होते ही तत्काल जांच करवा लेनी चाहिए।
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