जिसकी हत्या के अपराध में दोस्त अंदर, वह क्रिसमस मनाने लौटा अपने घर
जशपुर। कभी कभी हत्या जैसा जघन्य अपराध भी कौतुक का कारण बन जाता है। जिस व्यक्ति की हत्या के आरोप में उसके दोस्त जेल की हवा खा रहे हैं, वह एकाएक क्रिसमस मनाने के लिए घर लौट आता है। बस से उतरकर जैसे ही ऑटो में बैठता है, थाने को खबर हो जाती है। मजे की बात यह भी है कि हत्या के मामले में उसके दोस्तों का कबूलनामा भी पुलिस के पास है जिसे मजिस्ट्रेट के आगे दर्ज कराया गया था। मृतक जीवित लौट आया तो फिर लाश किसकी थी?
शनिवार की रात पूरा मामला उस समय पलट गया, जब तथाकथित मृतक सीमित खाखा ग्राम पंचायत सिटोंगा की सरपंच कल्पना खलखो के साथ सिटी कोतवाली थाना पहुंचा। सरपंच कल्पना खलखो ने बताया कि सीमित झारखंड से आने वाली बस से उतरा और सिटोंगा जाने के लिए ऑटो में बैठा। ऑटो चालक सीमित को पहचानता था। उसी ने फोन कर सूचना दी कि जिस युवक की हत्या के आरोप में लोग जेल में हैं, वही युवक जिंदा ऑटो में बैठा है। इसके बाद सीमित को सीधे थाना लाया गया।
सीमित खाखा ने पुलिस को बताया कि जिंदा है। वह रोजगार की तलाश में दोस्तों के साथ झारखंड चला गया था। वहां जाकर वह दोस्तों से बिछड़ गया और जिले के सरईपाली गांव में खेतों में मजदूरी करने लगा। उसके पास फोन नहीं था इसलिए वह परिजनों या दोस्तों से सम्पर्क नहीं कर पाया।
61 दिन पहले मिली थी लाश
पुलिस को रनानगर-बालाछापर के बीच स्थित तुरीटोंगरी जंगल में युवक की अधजली लाश मिली थी। शव एक गड्ढे में पड़ा था और उसका चेहरा सहित शरीर का अधिकांश हिस्सा जला हुआ था। जांच के दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि ग्राम सिटोंगा निवासी सीमित खाखा अपने साथियों के साथ झारखंड के हजारीबाग मजदूरी करने गया था। उसके साथी लौट आए थे, लेकिन सीमित वापस नहीं आया।
पुलिस के अनुसार, 17 अक्टूबर को सीमित खाखा अपने साथियों रामजीत राम, विरेंद्र राम और नाबालिग के साथ जशपुर लौटा था। बस से उतरने के बाद सभी बांकी टोली स्थित बांकी नदी पुलिया के पास पहुंचे, जहां शराब पीकर वे लड़ पड़े। इसी दौरान रामजीत राम ने सीमित के सीने में चाकू से वार किया, जबकि विरेंद्र राम ने लोहे की रॉड से हमला किया। इससे सीमित की मौके पर ही मौत हो गई। हत्या को छिपाने के लिए आरोपियों ने शव को करीब 400 मीटर दूर जंगल के गड्ढे में डालकर पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश की।
तीनों आरोपियों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए गए थे। क्राइम सीन भी रिक्रिएट किया गया था। अब पुलिस मुश्किल में पड़ गई है। सवाल यह है कि गिरफ्तार लोगों ने असल में किसे मारा था? वह कौन था जिसकी अधजली हुई लाश मिली थी? खाखा के दोस्तों ने मर्डर की बात क्यों कबूल की?
आरोपियों की रिहाई होगी?
एसएसपी शशि मोहन सिंह ने बताया कि वास्तविक मृतक की पहचान के लिए राजपत्रित अधिकारी के नेतृत्व में विशेष जांच टीम गठित की गई है। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पूर्व में कार्रवाई की गई थी। फिलहाल मामले की जांच जारी है। गिरफ्तार आरोपियों की रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
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