पर्चे पर चिड़िया की टांग नहीं बना पाएंगे डॉक्टर, जानें क्या है माजरा
मुजफ्फरपुर (NBT)। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने डॉक्टरों की अस्पष्ट लिखावट को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं। अब डॉक्टरों को दवा का नाम साफ-साफ और अंग्रेजी के ‘कैपिटल लेटर्स’ में लिखना अनिवार्य होगा। इसके लिए मेडिकल कॉलेजों में तीन सदस्यीय निगरानी कमेटी बनाई जाएगी, जो नियमित रूप से पर्चों की जांच करेगी।
अक्सर डॉक्टरों के पर्चे पर लिखी दवाओं के नाम समझना आम आदमी और यहां तक कि कई बार फार्मासिस्ट के लिए भी बड़ी चुनौती बन जाता है। अस्पष्ट लिखावट के कारण होने वाली गलतियों को रोकने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने बड़ा कदम उठाया है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद, NMC ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश दिया है कि डॉक्टर अब आड़ी-तिरछी या ‘गंदी’ हैंडराइटिंग में पर्चे नहीं लिख सकेंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करना और दवाओं के गलत वितरण की संभावना को पूरी तरह समाप्त करना है।
कैपिटल लेटर में लिखना होगा दवा का नाम
NMC के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब डॉक्टरों को दवा का नाम और जरूरी जांच की जानकारी अनिवार्य रूप से अंग्रेजी के ‘कैपिटल लेटर्स’ (बड़े अक्षरों) में लिखनी होगी। कमीशन का मानना है कि कैपिटल लेटर्स में लिखने से नाम स्पष्ट रहते हैं और मरीजों या उनके परिजनों को इसे पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसके साथ ही, डॉक्टरों को अस्पताल में केवल ‘जेनेरिक दवाएं’ ही लिखने का सख्त निर्देश दिया गया है, ताकि मरीजों पर आर्थिक बोझ कम हो सके।
तीन सदस्यीय कमेटी करेगी पर्चों की निगरानी
मेडिकल कॉलेजों में इन निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को तीन सदस्यीय कमेटी बनाने का आदेश दिया गया है। एसकेएमसीएच की प्राचार्य सह अधीक्षक डॉ आभा रानी ने बताया कि ये कमेटी ओपीडी और वार्डों में जाकर डॉक्टरों की ओर से लिखे जा रहे पर्चों की निगरानी करेगी। कमेटी ये सुनिश्चित करेगी कि डॉक्टर निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं। इसमें फार्मेसी और मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा, जो लिखावट में सुधार के लिए डॉक्टरों को समय-समय पर हिदायत देंगे।
नियमित बैठक कर NMC को भेजी जाएगी रिपोर्ट
ये कमेटी केवल निगरानी तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इसकी नियमित बैठकें भी आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों में रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा कि किस डॉक्टर की लिखावट में कितना सुधार हुआ है। सुधार की प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर नेशनल मेडिकल कमीशन को भेजी जाएगी। लगातार रिपोर्टिंग से NMC ये आकलन कर सकेगा कि जमीनी स्तर पर निर्देशों का कितना प्रभाव पड़ रहा है।
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