पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने राज्य के छः वनवृतों में हर्बल मेला – वैद्य सम्मेलन
रायपुर। छत्तीसगढ़ में पारंपरिक चिकित्सा उपचार पद्धतियों के संरक्षण और संकलन के लिए 1 से 7 दिसंबर 2025 तक राज्य के छह वनवृत्तों में हर्बल मेला – वैद्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देशानुसार और स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम के मार्गदर्शन में स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड द्वारा आयोजित किए गए सम्मेलन में 685 वैद्यों ने भाग लिया और अपने पारंपरिक ज्ञान का आदान-प्रदान किया।
छत्तीसगढ़ रजत जयंती महोत्सव 2025 के अंतर्गत आयोजित सम्मेलन में वैद्यों द्वारा दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ का प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर संजीवनी विक्रय केंद्रों द्वारा हर्बल वनोत्पादों प्रदर्शनी भी लगाई गई।
सम्मेलन में विधायक किरणदेव और प्रबोध मिंज सहित कई जनप्रतिनिधियों द्वारा पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े वैद्यों द्वारा दी जा रही हैं उपचार सुविधा की सराहना की गई और जड़ी-बूटी आधारित पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान को प्रदेश की धरोहर बताते हुए इसे संरक्षित और प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
आदिवासी एवं दूरस्थ इलाकों में उपचार सेवाएं देने वाले वैद्यों को एक मंच पर लाना, वैद्यों की जानकारी और उनकी चिकित्सा पद्धतियों का संकलन, उपचार में उपयोग की जा रही जड़ी-बूटियों का दस्तावेजीकरण और पारंपरिक वनौषधि ज्ञान को सुरक्षित कर अगली पीढ़ी तक पहुँचाना हर्बल मेला-वैद्य सम्मेलन का उद्देश्य है।
ये सम्मेलन सरगुजा वनवृत्त, अंबिकापुर वनमंडल, काष्ठागार अंबिकापुर, रायपुर वनवृत्त, महासमुंद वनमंडल, ग्राम तेंदुकोना, बागबहारा, कांकेर वनवृत्त, केसकाल वनमंडल, टाटामारी, दुर्ग वनवृत्त, राजनांदगांव वनमंडल, अछोली काष्ठागार, डोगरगढ़, बिलासपुर वनवृत्त, कोरबा वनमंडल, वनमंडल कार्यालय और जगदलपुर वनवृत्त, बस्तर वनमंडल, वन विद्यालय में आयोजित किए गए।











