प्रदेश के 9 जिला अस्पतालों में आईसीयू नहीं, मशीनें आधी ही चालू
बिलासपुर। प्रदेश के 9 जिला अस्पतालों में आज तक आईसीयू की सुविधा नहीं है। वहीं 12 जिला चिकित्सालय ऐसे हैं, जहां सीटी स्कैन मशीन नहीं है। मरीजों को जांच के लिए रायपुर या बिलासपुर रेफर किया जा रहा है। कई बार समय पर जांच और इलाज नहीं मिलने से मरीजों की हालत बिगड़ जाती है। मजबूरी में मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जांच कराते हैं। वहीं दो मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जहां क्रिटिकल केयर आईसीयू नहीं हैं।
प्रदेश के 10 मेडिकल कॉलेजों में से 6 में एमआरआई मशीन नहीं है, जबकि 3 मेडिकल कॉलेजों में सीटी स्कैन की सुविधा ही नहीं है। महासमुंद और दुर्ग मेडिकल कॉलेजों में क्रिटिकल आईसीयू तक नहीं है। जगदलपुर, रायगढ़, राजनांदगांव, कोरबा, महासमुंद और दुर्ग मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं, जहां एक भी एमआरआई मशीन नहीं है। कोरबा, महासमुंद और दुर्ग में सीटी स्कैन की सुविधा न होने से मरीजों को निजी जांच केंद्र जाना पड़ता है।
हालांकि सोनोग्राफी मशीनें लगभग सभी जगह मौजूद हैं, लेकिन कई अस्पतालों में ये महीनों से बंद पड़ी हैं। बिलासपुर के सिम्स में 4 सोनोग्राफी मशीनें हैं, जिनमें से सिर्फ 2 ही चालू हालत में हैं। रेडियोलॉजी विभाग में सिर्फ दो रेडियोलॉजिस्ट पदस्थ हैं एक नियमित और एक बांड पर। स्टाफ की भारी कमी के कारण एक्स-रे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और एमआरआई की रिपोर्ट के लिए मरीजों को महीनों तक इंतजार करना पड़ता है।
प्रदेश के 10 मेडिकल कॉलेजों में कुल 7 सीटी स्कैन, 4 एमआरआई और 45 सोनोग्राफी मशीनें हैं, जो जरूरत के मुकाबले नाकाफी हैं। सरकारी अस्पतालों में संसाधनों और विशेषज्ञों की कमी से आम मरीज इलाज के लिए भटक रहा है, जबकि निजी अस्पताल इस मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं।
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