बालाजी के इस मंदिर में होती है भूतों की पेशी, मिलता है दण्ड
राजस्थान के दौसा जिले में मेहंदीपुर बालाजी का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर को चमत्कारी शक्तियों के लिए जाना जाता है. मंदिर में बालाजी महाराज, श्री भैरव जी कोतवाल और श्री प्रेतराज जी सरकार की प्रतिमाएं हैं. इस मंदिर में भूत-प्रेत बाधा से पीड़ित लोग भी ठीक हो जाते हैं. यहां भूतों की पेशी होती है तथा उन्हें दण्ड भी दिया जाता है.
दौसा। मेंहदीपुर बालाजी मन्दिर दो पहाड़ियों के बीच बसा हुआ अत्यंत आकर्षक व मनोरम स्थल है. यहाँ की शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण अत्यधिक आनंद प्रदान करती है. बताया जाता है कि सर्व श्री गणेशपुरी जी महाराज सर्वप्रथम सेवक थे. श्री नरेशपुरी जी महाराज वर्तमान सेवक हैं. श्री गणेशपुरी जी महाराज के समय ही प्रधान मंदिर का निर्माण हुआ. सभी धर्मशालाएँ इन्हीं के समय में बनीं. उस समय यहां घने जंगल थे जिसमें वन्य प्राणियों की भरमार थी.

इन मूर्तियों को किसी शिल्पकार ने नहीं गढ़ा. अपितु यह पर्वत के ही अंग हैं. समूचा पर्वत ही मानों उनका शरीर है. बालाजी महाराज के सीने से जल की एक क्षीण धारा बहती है जो नीचे कुण्ड में एकत्र होती है. यह प्रवाह आज भी बना हुआ है.
विक्रमी-सम्वत् 1979 में श्री महाराज ने अपना चोला बदला. उतारे हुए चोले को गंगाजी में प्रवाहित करने जब टोली मंडावर रेलवे स्टेशन पर पहुँचे तो रेलवे अधिकारियों ने चोले को तौलने का प्रयास किया. पर चोले का वजन कभी एक मन बढ़ जाता तो कभी एक मन घट जाता. अन्तत: रेलवे अधिकारियों ने हार मान ली.
बालाजी महाराज के दर्शन के कुछ नियम हैं. मंदिर जाने से कम से कम एक सप्ताह पहले तामसिक भोजन त्यागना पड़ता है. बालाजी महाराज के दर्शन से पूर्व प्रेतराज सरकार के दर्शन और प्रेतराज चालीसा का पाठ करना चाहिए. इसके बाद बालाजी महाराज के दर्शन और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. अन्त में कोतवाल भैरवनाथ के दर्शन करने के बाद भैरव चालीसा का पाठ करना चाहिए.
बालाजी महाराज मेंहदीपुर के राजा और भगवान शिव के अवतार हैं. इनके समक्ष ही बुरी आत्माओं की पेशी लगती है. इन्हें लड्डूओं का भोग लगता है. भैरव बाबा बालाजी महाराज की सेना के सेनापति और भगवान शिव के ही अवतार हैं. इन्हें उड़द की दाल से बनी वस्तुओं का भोग प्रिय है. प्रेतराज सरकार बालाजी महाराज के दरबार के दण्डनायक हैं. ये ही बुरी आत्माओं को दण्ड देते हैं. इन्हें पके हुए चावलों और खीर का भोग लगता है.
मंदिर में किसी से कोई भी वस्तु, यहां तक कि प्रसाद भी न लें और न ही दें. प्रसाद मंदिर के अंदर ही ग्रहण करें या उसे वहीं छोड़ दें. भूत प्रेत बाधा से ग्रस्त झूमते हुए लोगों से डरना नहीं चाहिए. इनकी फोटो या वीडियो बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. आते तथा जाते समय पीछे मुड़कर भी न देखें. आने और जाने की दरखास्त लगाकर जाएं.
आवागमन के साधन
राजस्थान के दो जिलों करौली व दौसा में विभक्त घाटा मेंहदीपुर दिल्ली-जयपुर-अजमेर-अहमदाबाद लाइन पर स्थित बाँदीकुई जंक्शन रेलवे स्टेशन से 30 की.मी. की दूरी पर स्थित है. बांदीकुई जंक्शन से मेहंदीपुर बालाजी धाम के लिए 24 घंटे बस, जीप, टैक्सी आदि की सुविधा उपलब्ध है. आगरा, मथुरा, वृन्दावन, अलीगढ़ आदि से सीधी बसें जो जयपुर जाती हैं वे सभी मेहंदीपुर बालाजी के मोड़ पर रूकती हैं.
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