वैवाहिक बलात्कार पर थरूर का बिल
शशी थरूर 21वीं सदी के नेहरू हैं. एक उच्च शिक्षित व्यक्ति को जिस तरह सोचना चाहिए, उनकी सोच उसी दिशा में जाती है. लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका, एक तटस्थ राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छवि स्थापित करने वाले थरूर भाजपा के लिए भी एक पसंदीदा चेहरा हैं. हाल ही में रूसी राष्ट्रप्रमुख पुतिन के साथ डिनर में उनका शामिल होना भी इस बात का द्योतक है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक्स पोस्ट कर कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए आयोजित डिनर में शामिल हुआ था. थरूर ने कहा कि वहां का माहौल बहुत अच्छा और दिलचस्प था. रूसी डेलिगेशन के साथ बातचीत करके मजा आ गया. इस डिनर में लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को न्योता नहीं मिला था. दरअसल, थरूर अपनी स्वतंत्र सोच के लिए जाने जाते हैं, जैसा कि नेहरू के साथ था. इसलिए जब थरूर ने राज्यसभा में मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से जुड़ा बिल पेश किया तो किसी को भी आश्चर्य नहीं हुआ. दरअसल, यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी से उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसके विरोध करने के बावजूद संबंध बनाता है तो इसे वैवाहिक बलात्कार कहा जाता है. थरूर ने कहा, “शादी किसी भी तरह हिंसा का लाइसेंस नहीं है. पत्नी की सहमति हर स्थिति में जरूरी है.” थरूर ने भारतीय न्याय संहिता की उस धारा को हटाने की मांग की है, जिसमें यह अपवाद है कि यदि पत्नी 18 साल से ऊपर है तो पति का बिना सहमति सेक्स करना अपराध नहीं माना जाएगा. थरूर ने इसे “पुरानी और पितृ सत्तात्मक सोच” बताते हुए कहा कि यह कानून शादीशुदा महिलाओं के अधिकारों को कमजोर करता है. थरूर ने एक्स पर लिखा “नहीं का मतलब नहीं ही होता है. शादी किसी महिला की आजादी या उसकी सुरक्षा नहीं छीन सकती. जबरन यौन संबंध हिंसा है, चाहे रिश्ता कोई भी हो।.” किसी महिला के कपड़े, पेशे, जाति, या किसी भी बात को सहमति का आधार मान लेना न केवल गलत है, बल्कि उसके बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन भी है. थरूर कोई मंत्री नहीं हैं. इसलिए उनके द्वारा पेश किया गया बिल एक प्राइवेट बिल कहलाएगा. हालांकि, प्राइवेट बिल के पास होने की संभावना कम ही होती है पर इससे जरूरी मुद्दों पर बहस तो शुरू हो ही जाती है. कई महिला अधिकार समूह और महिला कार्यकर्ता लंबे समय से इस अपवाद को ख़त्म करने की मांग उठाते रहे हैं. मैरिटल रेप को 100 से अधिक देशों में अपराध माना जाता है. भारत उन तीन दर्जन देशों में से एक है जहां शादी के बाद अपनी पत्नी से बिना मंज़ूरी के संबंध बनाने को बलात्कार नहीं माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट में मैरिटल रेप को अपवाद मानने से जुड़े मुद्दे पर आठ याचिकाएं लंबित हैं. दिक्कत यह है कि सनातन इस तरह के विषय को लेकर असहज है. पर मामला आधी आबादी से जुड़ा है.
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