शंकराचार्य महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर लगी पहली प्रदर्शनी “पुनर्गठन”
भिलाई। भारतीय ज्ञान परंपरा असाधारण रूप से समृद्ध और अनोखी है इसमें जीवन और विज्ञान सामान्य और अलौकिक कर्म और धर्म साथ ही भोग और त्याग के बीच एक उल्लेखनीय संतुलन मौजूद है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय ज्ञान प्रणाली से अभिभूत है क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली में भौतिक नैतिक आध्यात्मिक और बौद्धिक मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है।

श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर 15 और 16 दिसंबर 2025 को भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि डॉ राजीव प्रकाश डायरेक्टर आईआईटी भिलाई, श्री गंगाजली शिक्षण समिति के अध्यक्ष आईपी मिश्रा, अध्यक्ष डॉ जया अभिषेक मिश्रा, विशिष्ट अतिथि डॉ ओंकार लाल श्रीवास्तव विभाग अध्यक्ष गणित विभाग शासकीय कमला देवी महाविद्यालय राजनांदगांव बोर्ड ऑफिस स्टडी के अध्यक्ष एवं गणित विभाग के डीन राजनांदगांव बायोडायवर्सिटी के अध्यक्ष डॉ पीबी देशमुख डायरेक्टर एसएसपीयु भिलाई, डॉ अजय वर्मा एसएसआईटी हेड मैकेनिकल डिपार्टमेंट एवं रिसर्च हेड उपस्थित रहे।

महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अर्चना झा ने स्वागत भाषण में बताय कि यह पहला अवसर है कि छात्रों द्वारा चलित एवं स्थिर मॉडल बनाये गये हैं जो वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है।
प्रो. राजीव प्रकाश ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की शुरुआत का यह प्रयास सराहनीय है। इससे हमे सीखने का अवसर मिलता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि तुलसी खाने से गला ठीक होता है यह हमारी प्राचीन भारतीय परंपरा में भी कही गई है परंतु हम प्राचीन समय में इसे सिद्ध नहीं कर सकते। वर्तमान समय में सभी चीजों को प्रमाणित करके प्रस्तुत करना पड़ता है। जिन परिस्थितियों में इन चीजों का प्रयोग किया जाता है और उसमें कल समय और परिस्थिति महत्वपूर्ण स्थान रखती है, वह स्थिति पर निर्भर करती है।
उन्होंने विमान का उदाहरण देते हुए कहा कि प्राचीन समय में पुष्पक विमान भी थे पर इसे हम सिद्ध नहीं कर पाए थे। वर्तमान समय में उसी की संकल्पना के आधार पर हम यह प्रमाणित कर पाए हैं कि विमान होते हैं और वह आसमान में उड़ते हैं। यह सारी चीजे हमारी पहुंच पर निर्भर करती है। प्राचीन समय में हमारे पास इन सब चीजों तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं था।
उन्होंने छात्रों द्वारा लगाए गए प्रदर्शनी के मॉडल का बहुत ही बारीकी से अवलोकन किया तथा छात्रों से उसका उद्देश्य पूछा और अपनी तरफ से कई सुझाव भी छात्रों को दिए। मॉडल गणित, विज्ञान भौतिक, रसायन, भूगोल, इतिहास धार्मिक एवं राजनीतिक स्थल भारतीय खानपान रंग रूप वेशभूषा जैसे विभिन्न विषयों को लेकर बनाया गया था। उन्होंने कहा कि आईआईटी भिलाई के सहयोग से आगे भी प्रदर्शनी लगाने का प्रस्ताव रखा। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय तथा आईआईटी भिलाई के बीच प्रतियोगिता रखेंगे। जिससे दोनों महाविद्यालय के बीच आपसी सौहार्द, सहयोग एवं नवीन गुणो के साथ हम अपनी प्रतिभाओं को निखार पाएंगे।
डॉ ओंकार लाल श्रीवास्तव ने प्रदर्शनी की प्रशंसा करते हुए बताया कि वह छत्तीसगढ़ में 225 प्रकार के जड़ी बूटियां का संरक्षण कर चुके हैं और आगे भी इस क्षेत्र में कार्य करते रहेंगे।
श्री गंगाजली शिक्षण समिति के अध्यक्ष आईपी मिश्रा ने छात्रों के इस सराहनीय प्रयास के लिए बधाई दी और कहा कि आज हम टेक्निकल युग में जी रहे हैं और उसका कांबिनेशन शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक है।
श्री गंगाजली शिक्षण समिति की अध्यक्ष डॉ जया अभिषेक मिश्रा ने कहा की प्रतिभाएं तो हर छात्रों में है उसे बाहर निकलने का अवसर मिलना चाहिए और इस तरह की प्रदर्शनी एवं कार्यक्रम का आयोजन से ही छात्रों की बौद्धिक प्रखरता निखर कर आती है।
महाविद्यालय के अकादमिक डीन डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि हमारा महाविद्यालय संसाधनों से भरपूर है। छात्रों को उसके उचित उपयोग का अवसर मिलना चाहिए।
द्वितीय दिवस के मुख्य अतिथि डॉ एम एस गुप्ता संयुक्त संचालक (रुसा), डॉ प्रशांत श्रीवास्तव विभाग अध्यक्ष जियोलॉजी, डॉ सुचित्रा शर्मा वरिष्ठ प्राध्यापक शास. वी.वाय.टी. पीजी कॉलेज दुर्ग, श्रीलेखा वेरूलकर डायरेक्टर एम.जे. कॉलेज, डॉ. अल्का मेश्राम प्राचार्य और शिखा श्रीवास्तव आई क्यू ए सी कोआडिनेटर शास. महाविद्यालय वैशाली नगर, उपस्थित रहे। अतिथियों द्वारा प्रदर्शनी की प्रशंसा की गयी।
इस अवसर पर श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभाग के प्राध्यापक गण एवं महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण विद्यालयों के प्राचार्य, स्कूली छात्र-छात्राएं एवं मीडीया, पत्रकार उपस्थित रहे। कार्यक्रम की संयोजक डॉ प्रीति श्रीवास्तव थी। कार्यक्रम का संचालन डॉ सुषमा दुबे ने किया।
#SSMVBhilai #BharatiyaGyanParampara #Exhibition #IITDirector











