Litti Chokha originated in Magadh and was popular amongst warriors

सर्दियों में लिट्टी-चोखा का जवाब नहीं, पीएम भी हैं इसके कायल

सर्दियों का मौसम हो, अलाव अंगार का मौसम चल रहा हो और लिट्टी-चोखा (Liltti Chokha) की बात न हो – कम से कम बिहार और झारखण्ड में तो ऐसा नहीं हो सकता। गर्मागर्म लिट्टी और चोखा की बात ही और है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi ( भी इसके कायल हैं। इसका इतिहास भी उतना ही पुराना है जितना कि खुद बिहार का। इसकी जड़ें मगध तक जाती हैं।यह सैनिकों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भी पहली पसंद रही है।लिट्टी-चोखा का स्वाद ही कुछ ऐसा है कि एक बार खाने के बाद हर कोई इसका दीवाना हो जाता है। भारत ही नहीं, दुनियाभर में इस डिश को बड़े चाव से खाया जाता है। समय के साथ इसका  इसका स्वरूप जरूर बदला पर इसका स्वाद जुबान पर बना रहा। लिट्टी-चोखा का इतिहास उतना ही पुराना है जितना बिहार की धरती।

लिट्टी-चोखा की उत्पत्ति कब हुई, इस बारे में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं मिलता है, लेकिन कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसकी जड़ें मगध साम्राज्य से जुड़ी हैं। मगध साम्राज्य एक शक्तिशाली साम्राज्य था और इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (आज का पटना) हुआ करती थी। जब यूनानी राजदूत मेगस्थनीज लगभग 350 ईसा पूर्व से लगभग 290 ईसा पूर्व के बीच पाटलिपुत्र आए, तो वे इस शहर की समृद्धि और लोगों के जीवन स्तर को देखकर दंग रह गए थे।

रसोई से युद्ध के मैदान तक
ऐसा माना जाता है कि मगध साम्राज्य के सैनिकों के लिए लिट्टी-चोखा एक बेहद पौष्टिक और पोर्टेबल भोजन था क्योंकि वे इसे युद्ध के दौरान अपने साथ ले जाते थे। सैनिक युद्ध के दौरान इन पराठों को गर्म पत्थरों या गोबर के उपलों पर सेंककर चटनी या अचार के साथ खाते थे। तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने जंगलों में गुप्त रूप से रहते हुए लिट्टी को अपना मुख्य भोजन बनाया था।

समय के साथ बदला स्वाद
विभिन्न शासकों के आगमन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ इस व्यंजन में कई बदलाव आए। मुगल काल के दौरान, शाही रसोइयों ने लिट्टी को एक नया आयाम दिया। मुगल सम्राटों को लिट्टी को पायस और शोरबा के साथ परोसा जाता था। लिट्टी को अधिक शाही स्वाद देने के लिए इसमें विभिन्न प्रकार के मेवे और सूखे मेवे भी मिलाए जाते थे।

चोखा की उत्पत्ति झारखंड के आदिवासी समुदायों से जुड़ी मानी जाती है। वे लकड़ी की आग पर आलू, बैंगन, टमाटर और प्याज जैसी सब्जियों को भूनते और मैश करके एक सरल सा व्यंजन बनाते थे। यह चोखा उनके मुख्य भोजन चावल या बाजरे के साथ परोसा जाता था।

लिटटी-चोखा कैसे बनाएं :

किसी बड़े बर्तन में आटा छान कर उसमें नमक, अजवाइन और घी / कुकिंग ऑयल डालें और अच्छी तरह मिक्स करें. अब थोड़ा थोड़ा पानी डालकर सेमी सॉफ्ट डो तैयार कर लें और 20 मिनट रेस्ट के लिए ढककर रख दें।

एक मिक्सिंग बाउल में सत्तू निकाल लें और उसमें सभी सामग्री नमक आदि को डालकर मिक्स कर ले। अब आटे की बराबर मात्रा में लोई तोड़ लें.एक लोई ले उसको हाथ से फैलाकर उसमे 1चम्मच सत्तू डालकर लोई को बंद करके गोल बना दे.ऐसे ही सभी लोई बनाकर तैयार कर ले।

पारम्परिक रूप से  लिट्टी को गोबर के उपले, कंडे पर सेंका जाता था। अब कुछ लोग लिट्टी को तेल में डीप फ्राई भी करते हैं। इसे आग पर केले के पत्ते में लपेटकर भी पकाया जा सकता है।
लिट्टी के चारों तरफ से अच्छी तरह सिक जाने पर घी लगा लें।

अब आते हैं चोखे पर। बैंगन, टमाटर और आलू को भून कर छील लें। प्याज, अदरक, हरी मिर्च और हरी धनिया को भी काट लें. टमाटर, बैंगन और आलू को मैश कर लें। उसमें कूटा हुआ लहसुन, बारीक कटी हुई हरी धनिया, हरी मिर्च,अदरक, सरसों का तेल नमक आदि मिला लें. चटपटा बैंगन आलू टमाटर का चोखा (भरता) तैयार है।

लिट्टी चोखे को घी चटनी या सलाद के साथ सर्व करें और इंजॉय करें।

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