हैदराबाद में बुलींग से परेशान प्रायमरी स्टूडेंट ने कर ली आत्महत्या
हैदराबाद में कक्षा चौथी के एक छात्र ने अपने घर के बाथरूम में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह एक निजी विद्यालय में पढ़ता था। उसके पिता एक अपार्टमेंट में चौकीदार की नौकरी करते हैं। दरअसल, छात्र के सहपाठी उसे उसके कपड़ों को लेकर छेड़ते थे, तंग करते थे और ताने मारते थे। अंग्रेजी में इसे बुली करना कहते हैं। जब से शिक्षा गारंटी की योजना आई है, गरीब घरों के बच्चे, अमीर और बदतमीज बच्चों के बुलींग का शिकार हो रहे हैं। कोई उनके सस्ते कपड़ों पर कमेंट करता है तो कोई उसकी चप्पलों पर कमेंट करता है। कुछ निजी स्कूलों ने तो गरीब बच्चों के लिए एक अलग कमरा सुनिश्चित कर रखा है जहां दो-तीन क्लास के बच्चे एक साथ बैठते हैं। उनके शिक्षक भी अलग ही होते हैं। एक ही शिक्षक सभी विषय पढ़ा रहा होता है। आम तौर पर गरीब परिवारों के बच्चे अपमान सहना सीखकर ही आते हैं। पर हर बात की एक सीमा होती है। बाल मन पर पड़ी कौन सी खरोंच कब नासूर बन जाए, कौन कह सकता है? बुलींग से तंग आकर इस बच्चे ने तो आत्महत्या कर ली। सभी ऐसा नहीं करते। कुछ हमेशा के लिए स्कूल छोड़ देते हैं। कुछ बच्चे आगे चलकर अपराधी बन जाते हैं। ऐसे बच्चे हिंसक भी हो जाते हैं। जिन स्कूलों में इन बच्चों को जबरदस्ती दाखिल कराया जाता है, खुद वो इन बच्चों को तुच्छ समझते हैं। भाषण में बड़ी-बड़ी बात करने वाले इन स्कूल संचालकों का व्यवहार भी इन बच्चों के प्रति अच्छा नहीं होता। दरअसल, जिस तहजीब की हम बातें करते हैं वह केवल मंचों और किताबों तक ही सीमित है। व्यक्तिगत जीवन में उसका उपयोग कम ही होता है। बच्चे वही सीखते हैं जो उनके माता-पिता करते हैं। अगर माता-पिता घर पर कामवाली से, बाजार में सब्जी वाले से, ठेला-रिक्शा वाले से तहजीब में रहकर बात करे, तो बच्चे भी दूसरों को इज्जत देना सीख जाते हैं। पिछले कुछ दशकों में अगर कुछ घटा है तो वह यही तहजीब है तो गरीब और अशक्त पर दया करना सिखाती थे। सभी की स्थिति गरीबों की मदद करने जैसी हो, यह जरूरी भी नहीं है। पर गरीबी के कारण किसी का मजाक बनाना सही नहीं है। हमारी तो संस्कृति ही दरिद्र में नारायण की थी। भंडारा संस्कृति भी इसी दरिद्र नारायण के लिए थी। पर अब वह दौर बीत गया। अब अमीर आदमी गरीब आदमी के लिए कोई स्पेस नहीं छोड़ना चाहता। न सड़क पर और न मोहल्ले में। उसका यही तौर तरीका उसके बच्चों को पास-ऑन हो रहा है। वो बचपन से सीख रहे हैं कि कुछ इंसान उनकी तवज्जो के लायक नहीं होते। कोई अगर गरीब है तो यह उसकी गलती है। कहा भी जाता है कि गरीब पैदा होना गुनाह नहीं है, पर गरीब मरना अपराध है। इंसान होने की तो कोई बात ही नहीं करता।
(Pic Credit : School Jotter)
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