इन 10 मस्जिदों को सरेंडर करने के पक्ष में था कभी शिया वक्फ बोर्ड
नई दिल्ली। आज अयोध्या का श्रीराम मंदिर हिन्दू आस्था का केन्द्रबिन्दु बन चुका है। अब तक देश विदेश के करोड़ों श्रद्धालुओं तथा पर्यटकों ने प्रभु श्रीराम लला एवं भव्य मंदिर के दर्शन किए हैं और यह सिलसिला जारी है। देश के कई राज्य अयोध्या-काशी दर्शन के लिए विशेष योजनाएं चला रहे हैं। पर क्या आपको पता है कि इस मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ होने से पहले ही शिया वक्फ बोर्ड ने अयोध्या की विवादित मस्जिद सहित 10 मस्जिदों पर मुसलमानों का दावा खत्म करने की अपील की थी?
9 नवंबर 2019 को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि से जुड़ी 2.77 एकड़ भूमि को राम मंदिर के निर्माण के लिए हिन्दू पक्ष को सौंपने का फैसला किया था। 1528 में यहां बनी बाबरी मस्जिद को 1992 में कारसेवकों ने ढहा दिया था। इससे पहले मार्च 2018 में उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने उन विवादित मस्जिदों के स्थलों को हिंदुओं को लौटाने की अपील की थी, जिन्हें मंदिरों को तोड़कर बनाए जाने का आरोप है।
रिजवी ने जिन विवादित मस्जिदों का जिक्र किया था, उनमें अयोध्या की बाबरी मस्जिद के अलावा, मथुरा की ईदगाह मस्जिद, वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, जौनपुर की अटाला मस्जिद, गुजरात के पाटन स्थित जामी मस्जिद, अहमदाबाद की जामा मस्जिद, पश्चिम बंगाल के पांडुआ स्थित अदीना मस्जिद, मध्य प्रदेश के विदिशा की बीजा मंडल मस्जिद और दिल्ली की कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद शामिल हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद : वाराणसी में काशी-विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सैकड़ों वर्षों से विवाद जारी है। माना जाता है कि 1699 में मुगल शासक औरंगजेब ने मूल काशी विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई थी।
काशी विश्वनाथ : काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था। यहां से मस्जिद को हटाए जाने को लेकर पहली याचिका 1991 में दाखिल हुई थी। 2019 में मस्जिद के आर्कियोलॉजिकल सर्वे को लेकर याचिका दाखिल हुई थी, जो अभी अदालत में लंबित है।
शाही ईदगाह मस्जिद, मथुरा : शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है। माना जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्म स्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट करके उसी जगह 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था। 1935 में हाई कोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी जिसे 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने अधिग्रहीत कर ली थी। 1968 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट और शाही ईदगाह कमिटी के बीच इसी के आधार पर समझौता हुआ।
ताजमहल, आगरा : आगरा के ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने 1632 में शुरू कराया था, जो 1653 में खत्म हुआ था, लेकिन मुमताज के इस प्रसिद्ध मकबरे को लेकर भी विवाद है। हिंदू संगठनों का दावा है कि शाहजहां ने ‘तेजो महालया’ नामक भगवान शिव के मंदिर को तुड़वाकर वहां ताजमहल बना दिया। दावा है कि शाहजहां की पत्नी का नाम मुमताज महल नहीं, बल्कि मुमताज-उल-जमानिया बताया गया है। एक याचिका में आगरा के ताजमहल के बंद 22 दरवाजों की जांच करके ये पता लगाने की अपील की गई है कि ये शिव मंदिर है या मकबरा।
कमल मौला मस्जिद, धार : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले में स्थित कमल मौला मस्जिद अक्सर विवादों में रही है। माना जाता है कि भोजशाला मंदिर का निर्माण हिंदू राजा भोज ने 1034 में कराया था। 1305 में अलाउद्दीन खिलजी और फिर दिलावर खान ने सरस्वती मंदिर भोजशाला के एक हिस्से को दरगाह में बदलने की कोशिश की। महमूदशाह ने मंदिर के बाहरी हिस्से पर कमल मौलाना मकबरा बना दिया। ऑकियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, ने हिंदुओं को यहां हर मंगलवार और वसंत पंचमी पर पूजा करने और मुस्लिमों को हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने की इजाजत दी है।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, दिल्ली : दिल्ली की पहली शुक्रवार मस्जिद देश की प्रमुख धरोहरों में से एक कुतुब मीनार परिसर के अंदर स्थित है। इस मस्जिद का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने कराया था। प्रसिद्ध आर्कियोलॉजिस्ट केके मुहम्मद ने कहा था कि इस मस्जिद का निर्माण 27 हिंदू और जैन मंदिरों को नष्ट करके किया गया था। मस्जिद के पूर्वी गेट पर लगे एक शिलालेख में भी इस बात का जिक्र है। इस मस्जिद में पिछले 800 वर्षों से नमाज नहीं अदा की गई है।
बीजा मंडल मस्जिद, विदिशा : मध्य प्रदेश के विदिशा शहर में स्थित बीजा मंडल मस्जिद को लेकर भी विवाद रहा है। माना जाता है कि बीजा मंडल मस्जिद का निर्माण परमार राजाओं द्वारा निर्मित चर्चिका देवी के हिंदू मंदिर को नष्ट करके किया गया था। इस स्थल पर मौजूद एक खंभे पर लगे शिलालेख में बताया गया है कि मूल मंदिर देवी विजया अर्थात चर्चिका देवी को समर्पित था। 8वीं सदी में बने मंदिर का 11वीं सदी में परमार वंश और मालवा के राजा नरावर्मन ने पुनर्निर्माण कराया था। माना जाता है कि 1658-1707 के दौरान औरंगजेब ने इस मंदिर पर हमला करके इसे लूटा और नष्ट कर दिया। उसने सभी मूर्तियों को दफनाकर इसे मस्जिद में बदल दिया।
जामा मस्जिद, अहमदाबाद : गुजरात के अहमदाबाद में स्थित जामा मस्जिद को लेकर भी विवाद रहा है। माना जाता है कि इस मस्जिद को हिंदू मंदिर भद्रकाली को तोड़कर बनाया गया है। अहमदाबाद का पुराना नाम भद्रा था। भद्रकाली मंदिर का निर्माण 9वीं से 14वीं सदी तक राज करने वाले परमार राजाओं ने कराया था। अभी जो जामा मस्जिद है, उसे अहमद शाह प्रथम ने 1424 में बनवाया था। दावा है कि मस्जिद के कई खंभों पर कमल के फूल, हाथी, कुंडलित नाग, नर्तकियों, घंटियों आदि की नक्काशी की गई है, जो अक्सर हिंदू मंदिरों में नजर आते हैं।
अटाला मस्जिद, जौनपुर : उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित अटाला मस्जिद भी विवादों से घिरी रही है। इस मस्जिद का निर्माण 1408 में इब्राहिम शरीकी ने कराया था। माना जाता है कि इब्राहिम ने जौनपुर में स्थित अटाला देवी मंदिर को तोड़कर वहां अटाला मस्जिद बनाई थी। अटाला देवी मंदिर का निर्माण गढ़ावला के राजा विजयचंद्र ने कराया था।
अदीना मस्जिद, मालदा : पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के पांडुआ में स्थित अदीना मस्जिद का निर्माण 1358-90 में सिकंदर शाह ने कराया था। माना जाता है कि उसने भगवान शिव के प्राचीन आदिनाथ मंदिर को नष्ट करके उसकी जगह अदीना मस्जिद बनवाई थी। तर्क है कि अदीना मस्जिद के कई हिस्सों में हिंदू मंदिरों के स्टाइल की डिजाइन नजर आती हैं।
जामी मस्जिद, पाटन (गुजरात) : गुजरात के पाटन जिले में स्थित जामी मस्जिद को लेकर अक्सर विवाद उठता रहा है। माना जाता है कि इस मस्जिद को यहां बनी रुद्र महालय मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। यहां आज भी रुद्र महालय मंदिर के अवशेष नजर आते हैं। कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, रुद्र महालय मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में गुजरात के शासक सिद्धराज जयसिंह ने कराया था। 1410-1444 के बीच अलाउद्दीन खिलजी ने इस मंदिर के परिसर को नष्ट कर दिया था। बाद में अहमद शाह प्रथम ने मंदिर के कुछ हिस्से को जामी मस्जिद में बदल दिया था।
(दैनिक भास्कर पोर्टल से साभार)
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