तीन बार रुकी हृदय की धड़कन, पर स्पर्श ने बचा लिया, मायस्थीनिया क्राइसिस से गुजर रहा था मरीज

भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने एक ऐसे मरीज की जान बचाने में सफलता प्राप्त की है जो मायस्थीनिया क्राइसिस के दौर से गुजर रहा था। यह एक रेयर केस था। इलाज के दौरान मरीज के हृदय की धड़कनें तीन बार रुकीं पर स्पर्श की चुस्त टीम ने हर बार धड़कनों को समय रहते रिवाइव कर लिया। इस बीमारी में शरीर की मांस पेशियों बेहद कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे सांस की मांसपेशियां भी काम करना बंद कर देती हैं एवं आक्सीजन की कमी के कारण ये रुकने लगती हैं।भिलाई। स्पर्श मल्टीस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने एक ऐसे मरीज की जान बचाने में सफलता प्राप्त की है जो मायस्थीनिया क्राइसिस के दौर से गुजर रहा था। यह एक रेयर केस था। इलाज के दौरान मरीज के हृदय की धड़कनें तीन बार रुकीं पर स्पर्श की चुस्त टीम ने हर बार धड़कनों को समय रहते रिवाइव कर लिया। इस बीमारी में शरीर की मांस पेशियों बेहद कमजोर हो जाती हैं और धीरे-धीरे सांस की मांसपेशियां भी काम करना बंद कर देती हैं एवं आक्सीजन की कमी के कारण ये रुकने लगती हैं। डॉ संजय गोयल ने बताया कि मरीज को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत चिंताजनक थी। लोगों ने उन्हें बाहर किसी बड़े अस्पताल में जाने की सलाह दी थी पर उन्होंने स्पर्श की टीम पर ही भरोसा किया। हमने उनका भरोसा टूटने नहीं दिया। चिकित्सा विशेषज्ञों और चौकन्ने पैरामेडिक्स की टीम ने न केवल उसकी जान बचा ली बल्कि मस्तिष्क को संभावित क्षति से भी बचा लिया।
उन्होंने बताया कि मरीज जयप्रकाश (परिवर्तित नाम) मायस्थीनिया ग्रेविस से गुजर रहा था। इस मरीज को हृदय की धमनियों की बीमारी भी थी जिससे उसे इस दौरान हार्ट अटैक भी हुआ। इसके कारण मरीज का हृदय रुक गया था। स्पर्श की दक्ष टीम ने तुरन्त सी.पी.आर. करके मरीज के हृदय को पुन: चालू किया एवं मरीज को वेंटीलेटर पर रखा। ब्लाकेज को दूर करने के लिए वेंटीलेटर पर रखते हुए ही उसकी एंजियोप्लास्टी की गई और दो स्टेंट लगाए गए। चिकित्सा के दौरान तीन बार मरीज की धड़कनें रुक गई थीं पर स्पर्श की चौकन्नी टीम तीनों बार हार्टबीट को रिवाइव करने में सफल रही। इस तरह से न केवल मरीज की जान बच गई बल्कि उसके मस्तिष्क को भी आक्सीजन की कमी से होने वाले नुकसान से बचा लिया गया। मरीज को तीन माह तक वेन्टीलेटर पर रखा गया। हालत सुधरने पर उसे वार्ड में शिफ्ट किया गया और कुछ ही दिनों में उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज फिलहाल अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रहा है।
जयप्रकाश को ठीक करके वापस घर भेजने में डॉ संजय गोयल, डॉ अनूप गुप्ता, डॉ एस श्रीनाथ, डॉ जयराम अय्यर, डॉ दीपक कोठारी, डॉ राहुल सिंह की टीम की अथक चेष्टाएं सफल रहीं। मरीज के परिजनों का भी इस दौरान अस्पताल को भरपूर सहयोग मिला।

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