रूंगटा फार्मेसी कॉलेज में फार्मेसी शिक्षकों ने सीखा प्रभावी टीचिंग लर्निंग का तरीका
भिलाई। रूंगटा कॉलेज आॅफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च (आरसीपीएसआर) में फार्मेसी काउंसिल आॅफ इंडिया द्वारा प्रायोजित कंटीन्यूइंग एजुकेशन प्रोग्राम (सीइपी) के तहत आयोजित ‘इफेक्टिव टीचिंग-लर्निंग इन फार्मेसी एजुकेशन’ विषय पर तीन-दिवसीय कार्यशाला का समापन हो गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि इंस्टीट्यूट आॅफ फार्मेसी, पं. रविशंकर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर तथा डीन डॉ. स्वर्णलता सराफ थीं। अध्यक्षता संतोष रूंगटा ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमेन संतोष रूंगटा ने की।
मौके पर रूंगटा कॉलेज आॅफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च के प्रिंसिपल तथा आयोजित वर्कशॉप के चेयरमेन डॉ. डी.के. त्रिपाठी, डॉ. कार्तिक नखाते, मुकेश शर्मा, कुशाग्रा नागोरी, प्रबंधक जनसंपर्क सुशांत पंडित सहित रूंगटा फार्मेसी कॉलेज के समस्त फैकल्टी मेम्बर्स व स्टाफ उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए डॉ. स्वर्णलता सराफ ने कहा कि टीचिंग क्वालिटी को इम्प्रूव करने के लिये फार्मेसी काउंसिल आॅफ इंडिया द्वारा निर्धारित मानकों को अनिवार्य रूप से फार्मेसी एजुकेशन में लागू किया जाना चाहिये। डॉ. सराफ ने कहा कि अच्छे शिक्षकों को सदैव अपना नॉलेज अपडेट करते रहना चाहिये ताकि वे स्टूडेंट्स को हमेशा कुछ नया दे सकें। फार्मेसी स्टूडेंट्स को भी अपना उत्तरदायित्व ध्यान में रखकर समाज की बेहतरी में अपना योगदान देना चाहिये। वर्तमान में यह जरूरी हो गया है कि फार्मेसी की शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय मानकों को व्यवस्थित रूप से लागू किया जाये।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में चेयरमेन संतोष रूंगटा ने कहा कि शिक्षण के प्रति नये शिक्षकों में एक जुनून होना चाहिये इससे विद्यार्थियों में शैक्षिक विषय में रूचि पैदा होती है। आज की आवश्यकता यह है कि शिक्षक अपने किरदार को इस प्रकार निभायें कि विद्यार्थियों में लोकप्रियता हासिल करे और अपने और स्टूडेंट के मध्य लगातार संवाद तथा प्रभावी संबंध स्थापित कर उनकी समस्याओं को हल करे।
कार्यशाला के अंतिम दिवस इंस्टीट्यूट आॅफ फार्मेसी, पं. रविवि, रायपुर से आयीं डॉ. प्रीति के. सुरेश ने ‘ब्लेण्डेड लर्निंग एण्ड इट्स पोटेंशियल’ विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि टीचर्स को अपने स्टूडेंट्स के लिये मोटीवेटर का कार्य कर करना चाहिये और उन्हें समझाना चाहिये कि उनके द्वारा की गई कोई भी गलती को वे पॉजीटीवली लें तथा इसे सीखने का एक मौका समझें। डॉ. डी.के. त्रिपाठी प्रिंसिपल आरसीपीएसआर ने ‘इफेक्टिव टीचिंग-लर्निंग इन फार्मेसी एजुकेशन’ के अंतर्गत समझाते हुए कहा कि प्रभावी शिक्षण वह होता है जिसमें टू-वे कम्यूनिकेशन प्रोसेस हो जिससे जो बातें शिक्षक समझाता है उसे विद्यार्थी ठीक से समझे और उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करने से न घबराये। आरसीपीएसआर के ही डॉ. अमित अलेक्जेण्डर ने ‘पॉसिबल इम्प्रुवमेंट्स फॉर टीचिंग लर्निंग प्रोसेस’ के माध्यम से शिक्षण पद्धती में कैसे सुधार किया जा सकता है उस पर प्रकाश डाला। सीआईपी, रायपुर के डॉ. अमित रॉय ने ‘स्ट्रैटेजीस फॉर इफेक्टिव टीचिंग’ विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि शिक्षक की भूमिका स्टूडेंट के लिये मार्गदर्शक की होनी चाहिये तथा उसके पूरे व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षक को अपना योगदान प्रमुखता से देना चाहिये। सभी स्पीकर्स ने प्रतिभागियों के रूप में उपस्थित राज्य के विभिन्न कॉलेजों से आये हुए फार्मेसी के शिक्षकों को प्रभावी शिक्षण के गुर सीखाये साथ ही उनसे इंटरेक्शन कर संबंधित विषय पर चर्चा की।
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुईं आईओपी, पं. रविवि, रायपुर की प्रोफेसर डॉ. स्वर्णलता सराफ ने भी क्वालिटी टीचिंग इन फार्मेसी एजुकेशन विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
कार्यशाला के संयोजक तथा आरसीपीएसआर के वाइस प्रिंसिपल डॉ. एजाजुद्दीन ने बताया कि आयोजित कार्यशाला में रूंगटा कॉलेज आॅफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च सहित राज्य के अन्य फार्मेसी कॉलेजों जैसे आईओपी पं. रविवि रायपुर, आरआईटी, शंकरा, रावतपुरा, कोलम्बिया, चौकसे, अपोलो, भारती तथा एम.जे. कॉलेज के फैकल्टी मेम्बर्स की प्रतिभागियों के रूप में उपस्थिति रही जिन्होंने इस वर्कशाप को अत्यंत ही महत्वपूर्ण तथा ज्ञानवर्द्धक बताया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह तीन-दिवसीय कार्यशाला फार्मेसी टीचिंग लर्निंग को एक नई दिशा प्रदान करेगा। कार्यसाला के आॅगर्नाइजिग सेक्रेटरी डॉ. अमित अलेक्जेण्डर ने कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों के हाथों प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किये गये।