गुरूपूर्णिमा : आपने खुद छोड़ा बच्चों का हाथ, इसलिए हो रहे बागी : दीपक रंजन
उड़ान कार्यशाला में माताओं को दिए बच्चों से जुड़ने के टिप्स
भिलाई। माता-पिता स्वयं बच्चों की मुट्ठी से अपनी उंगली छुड़ा लेते हैं और फिर बच्चों के बागी हो जाने की शिकायत करते हैं। इसके साथ ही बच्चों की सुने बिना उनपर अपनी इच्छाओं और फैसलों को थोपने के कारण स्थिति और बिगड़ जाती है। माता-पिता जहां दुखी रहते हैं वहीं बच्चा अकेला, अलग-थलग पड़ जाता है। उक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षक दीपक रंजन दास ने गुरूपूर्णिमा के अवसर पर उड़ान की कार्यशाला में माताओं को संबोधित करते हुए कहीं।
साढ़े तीन दशक तक पत्रकारिता और शिक्षा के क्षेत्र में काम कर चुके श्री दास ने कहा कि नए दौर की शिक्षा व्यवस्था बच्चों की स्वाभाविक उत्सुकता का गला घोंट रही है। उसपर सूचनाओं और अपेक्षाओं का पहाड़ लाद रही है। इसके चलते धीरे-धीरे उनके बीच संवादहीनता और अविश्वास पनपने लगता है।
उन्होंने कहा कि छोटी उम्र में ही बच्चे स्कूल भेज दिए जाते हैं। वहां उनका उपयोग मार्केटिंग टूल की तरह होता है। अधिकांश पेरेन्ट्स भी अपने बच्चों का उपयोग मार्केटिंग टूल की तरह करते हैं। आधुनिक बच्चा सूचनाओं की बाढ़ के बीच बड़ा हो रहा है। माता-पिता की झिड़की, सिर्फ आदेश निर्देश तक सीमित संवाद, परफारमेंस को लेकर ताने बच्चों के मन पर गहरी लकीरें खींच देते हैं। इसलिए 8वीं-नवीं तक पहुंचते-पहुंचते उसका आचरण भी ऐसा ही हो जाता है।
माताओं के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि बच्चों से बातचीत और चर्चाओं का रास्ता हमेशा खुला रखना चाहिए। आज का बच्चा विभिन्न स्रोतों से जानकारियां जुटाता है। उसके पास अपने पेरेन्ट्स से ज्यादा जानकारियां होती हैं। वह इनके बीच उलझा हुआ होता है। ऐसे में उसे अपने माता-पिता व अभिभावकों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
उन्होंने व्यक्तिगत प्रश्नों के भी उत्तर माताओं से और सवाल पूछकर दिये। मिस इंडिया अंजु साहू, अर्शिया आलम, निधि चंद्राकर, संध्या साहू, शांति साहू, शबनम, सुशीला, माधुरी, अन्नपूर्णा, योगिता चंद्राकर आदि ने सवाल पूछे। इससे पूर्व उड़ान की कार्यशाला में दीपाली मिश्रा ने केक बनाने एवं आइसिंग करने का प्रशिक्षण दिया।