Campus Impact : नशेड़ी नहीं समझते नाते-रिश्ते, राखी नहीं बांधेंगी

भिलाई। जेपी नगर हाईस्कूल की छात्राओं ने एक लघु नाटक खेलकर यह संदेश दिया है कि नशा करने वाले युवकों को वे राखी नहीं बांधेंगी। छात्राओं ने कहा कि नशे की हालत में नाते-रिश्तों की समझ खत्म हो जाती है और अपने ही अपनों के दुश्मन बन जाते हैं। ऐसे लोगों को राखी बांधने का कोई औचित्य नहीं है। संडेकैम्पस.कॉम के संपादक दीपक रंजन दास के इस स्क्रिप्ट पर छात्राओं ने महज 10 मिनट की तैयारी के बाद अपनी प्रस्तुति दी।भिलाई। जेपी नगर हाईस्कूल की छात्राओं ने एक लघु नाटक खेलकर यह संदेश दिया है कि नशा करने वाले युवकों को वे राखी नहीं बांधेंगी। छात्राओं ने कहा कि नशे की हालत में नाते-रिश्तों की समझ खत्म हो जाती है और अपने ही अपनों के दुश्मन बन जाते हैं। ऐसे लोगों को राखी बांधने का कोई औचित्य नहीं है।संडेकैम्पस.कॉम के संपादक दीपक रंजन दास के इस स्क्रिप्ट पर छात्राओं ने महज 10 मिनट की तैयारी के बाद अपनी प्रस्तुति दी। भिलाई। जेपी नगर हाईस्कूल की छात्राओं ने एक लघु नाटक खेलकर यह संदेश दिया है कि नशा करने वाले युवकों को वे राखी नहीं बांधेंगी। छात्राओं ने कहा कि नशे की हालत में नाते-रिश्तों की समझ खत्म हो जाती है और अपने ही अपनों के दुश्मन बन जाते हैं। ऐसे लोगों को राखी बांधने का कोई औचित्य नहीं है। संडेकैम्पस.कॉम के संपादक दीपक रंजन दास के इस स्क्रिप्ट पर छात्राओं ने महज 10 मिनट की तैयारी के बाद अपनी प्रस्तुति दी।नाटक में बताया गया कि किस तरह आज छात्र बर्थडे सेलिब्रेशन के नाम पर नशे की दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं। पहली बार नशा करने पर व्यक्ति स्वयं परिजनों के आगे लज्जित होता है। उसे नशे की दुनिया में जाने से रोकने का यही सही समय होता है। ऐसा करने पर वह स्वयं अपने दोस्तों को भी नशा करने से रोक सकता है। एक बार नशे की लत लग जाए तो फिर उसे छोड़ना बेहद कठिन हो जाता है। नाटक के अंत में छात्राएं इस बात का शपथ लेती हैं कि अपने भाइयों को नशे से बचाने के लिए वे इस बार कठोर कदम उठाएंगी और नशा करने वालों को राखी नहीं बांधेंगी।
इस अवसर पर स्कूल की प्राचार्य श्रीमती बी केरकेट्टा, पीटीआई उत्तम कुमार बौद्ध एवं शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित थीं।भिलाई। जेपी नगर हाईस्कूल की छात्राओं ने एक लघु नाटक खेलकर यह संदेश दिया है कि नशा करने वाले युवकों को वे राखी नहीं बांधेंगी। छात्राओं ने कहा कि नशे की हालत में नाते-रिश्तों की समझ खत्म हो जाती है और अपने ही अपनों के दुश्मन बन जाते हैं। ऐसे लोगों को राखी बांधने का कोई औचित्य नहीं है। संडेकैम्पस.कॉम के संपादक दीपक रंजन दास के इस स्क्रिप्ट पर छात्राओं ने महज 10 मिनट की तैयारी के बाद अपनी प्रस्तुति दी।

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