मरीज को संक्रमण से बचाने पल्स व आइएमए के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन

भिलाई। अस्पताल में मरीजों को संक्रमण से बचाने के विभिन्न उपायों एवं तकनीकों पर पल्स हॉस्पिटल भिलाई, आइएमए दुर्ग एवं एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। संक्रमण के कारण न केवल मरीज को ज्यादा समय तक अस्पताल में रुकना पड़ता है बल्कि उसके इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है। संक्रमण से मरीज की जान भी जा सकती है। कार्यशाला में संक्रमण को रोकने के विभिन्न उपायों की चर्चा की गई।भिलाई। अस्पताल में मरीजों को संक्रमण से बचाने के विभिन्न उपायों एवं तकनीकों पर पल्स हॉस्पिटल भिलाई, आइएमए दुर्ग एवं एकेडमी ऑफ़ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। संक्रमण के कारण न केवल मरीज को ज्यादा समय तक अस्पताल में रुकना पड़ता है बल्कि उसके इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है। संक्रमण से मरीज की जान भी जा सकती है। कार्यशाला में संक्रमण को रोकने के विभिन्न उपायों की चर्चा की गई।भिलाई। अस्पताल में मरीजों को संक्रमण से बचाने के विभिन्न उपायों एवं तकनीकों पर पल्स हॉस्पिटल भिलाई, आइएमए दुर्ग एवं एकेडमी आॅफ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त तत्वावधान में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। संक्रमण के कारण न केवल मरीज को ज्यादा समय तक अस्पताल में रुकना पड़ता है बल्कि उसके इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है। संक्रमण से मरीज की जान भी जा सकती है। कार्यशाला में संक्रमण को रोकने के विभिन्न उपायों की चर्चा की गई।अस्पताल, विशेषकर आईसीयू एवं ऑपरेशन थिएटर में मरीज को गंभीर संक्रमण का खतरा होता है। इसे रोकने के लिए विभिन्न उपाय किये जाते हैं। इसके मापदंड भी निर्धारित हैं। चिकित्सा कर्मियों को मरीजों को स्पर्श करने से पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि उसके हाथ संक्रमण रहित हैं। बायोमेडिकल वेस्ट का प्रबंधन, परिसर को संक्रमण मुक्त रखने के निरंतर प्रयास सहित इसकी अन्य विधियों की भी चर्चा की गई।
मरीज के इलाज के दौरान इन सभी सुरक्षित विधियों का पालन करने से बीमारी पर काबू पाना आसान हो पाता है तथा पल्स हॉस्पिटल इन सभी मापदंडों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कार्यशाला में विशेष रूप से उपस्थित डॉ संकल्प द्विवेदी ने कहा कि किसी भी अस्पताल, नर्सिंग होम एवं क्लिनिक के लिए संक्रमण रोकने के लिए सभी मानकों का पालन करना बाध्यताकारी है। इससे मरीज को संक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है तथा उसे एंटीबायोटिक देने की जरूरत भी कम पड़ती है और इलाज का खर्च एवं अस्पताल में भर्ती रहने की अवधी भी कम हो जाती है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पल्स हॉस्पिटल के डॉ सत्येन ज्ञानी तथा डॉ अंकुर ने संक्रमण नियन्त्रण पर अपने व्याख्यान दिये। उन्होंने कहा कि पल्स हॉस्पिटल इन सभी मानकों पर खरा उतरने के लिए प्रतिबद्ध है। अस्पताल के निर्माण में भी एनएबीएच गाइडलाइन्स का ध्यान रखा गया है।
कार्यशाला में फैकल्टी के रूप में दिल्ली के मेदान्ता अस्पताल से डॉ मानिन्दर धालीवाल एवं डॉ वीना रघुनाथन तथा रायपुर एम्स से डॉ अनिल शर्मा उपस्थित थे। आइएमए से डॉ अर्चना चौहान, डॉ ताबिश अख्तर, डॉ रतन तिवारी, डॉ प्रमोद गुप्ता, डॉ रजनीश मल्होत्रा, डॉ ज्ञानेश मिश्रा, डॉ प्रभात पान्डे तथा पल्स हॉस्पिटल से डॉ रंजन बोपरडिकर, डॉ नितेश दुआ, डॉ राजन तिवारी, डॉ दास रॉय, डॉ रीमा छत्री, डॉ राघवेंद्र राय, डॉ जयराम अय्यर विशेष रुप से उपस्थित थे।

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