सपनों को साकार करने में वास्तुविद निभाते हैं अहम भूमिका-अम्बरीश सिंह

भिलाई। आज के आधुनिक परिवेश में लोगों में आकिर्टेक्ट (वास्तुविदों) के बारे में जानकारी के अभाव के कारण पड़ने वाले प्रभाव पर परिचर्चा का आयोजन इंडिया कॉफी हाऊस सेक्टर 10 में शहर के वरिष्ठ आर्किटेक्ट अम्बरीश कुमार सिंह व योगेश चांडक के निर्देशन में किया गया। अम्बरीश कुमार सिंह ने कहा कि लोगों में आर्किटेक्ट को लेकर जो विभिन्न भ्रांतियाँ हैं उसे दूर किया जाना चाहिए। लोगों के सपने को साकार करने में वास्तुविदों की अहम भूमिका रहती है।भिलाई। आज के आधुनिक परिवेश में लोगों में आकिर्टेक्ट (वास्तुविद) के बारे में जानकारी के अभाव के कारण पड़ने वाले प्रभाव पर परिचर्चा का आयोजन इंडिया कॉफी हाऊस सेक्टर 10 में शहर के वरिष्ठ आर्किटेक्ट अम्बरीश कुमार सिंह व योगेश चांडक के निर्देशन में किया गया। अम्बरीश कुमार सिंह ने कहा कि लोगों में आर्किटेक्ट को लेकर जो विभिन्न भ्रांतियाँ हैं उसे दूर किया जाना चाहिए। लोगों के सपने को साकार करने में वास्तुविदों की अहम भूमिका रहती है। उन्होंने कहा आज के परिवेश में वास्तुविदों का नाम लेकर कुछ लोग अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं जिनके पास ना तो कोई मानक डिग्री है और ना ही उचित विषय। जिसकी वजह से उसका सीधा असर आम जनमानस पर होता है और नुकसान भी आमजनमानस को उठाना पड़ता है। लोग जानकारी के अभाव में बगैर किसी जानकारी के लोग उन बिना डिग्रीधारी वास्तुविदों से काम करवा कर अपना नुकसान कर बैठते हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता योगेश चांडक ने कहा कि, आम जनता अपने सपनों का महल, दुकान, घर, आॅफिस अन्य व्यवसायिक परिसर, स्कूल कॉलेज का निर्माण करवाने से पहले वास्तुविदों के विषय में भलीभांति जानकारी उपलब्ध कर लें कि उनके पास मानक डिग्री है या नहीं। कहीं न कहीं परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जिम्मेदारी सभी की होती है चाहे वास्तुविद हो या आम जनता।
वास्तुविद वह व्यक्ति है जिसे भवन बनाने की कला खासकर उसके डिजाईन, भविष्य पर पड़ने वाले प्रभाव, उपयोग, जरूरतों का पूरा ज्ञान होता है ना कि वह केवल एक खाका बनाता है। असली वास्तुविद उसे जीवंत रूप देता है। आज के परिवेश में बहुत लोग इंजीनियर शब्द को वास्तुविद से जोड़ते हैं जबकि, वास्तुविद (आकिर्टेक्ट) एक अलग क्षेत्र का काम है इसका इंजीनियरिंग से दूर-दूर का नाता नहीं है।
परिचर्चा में उपस्थित अनेक आर्किटेक्ट ने भी अपने-अपने विचार रखे। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन योगेश चांडक ने किया। परिचर्चा में उपस्थित आकिर्टेक्ट ने निर्णय लिया कि, भविष्य में ऐसे कार्यक्रम विशेषकर लोगों की जागरूकता के लिए वर्कशॉप व अन्य तरह के प्रयोगों का आयोजन समय-समय पर किया जायेगा। इस अवसर पर शहर के वास्तुविद धनंजय करजगाँवकर, विशाल राजहंस, संदीप शिवडेकर, रूपेश पाटनी, जगदीश पेरूले, एफ.फारूखी, बृजेश नागररिया, विश्वनाथ अग्रवाल, प्रीति गुप्ता, अंजली नादेरकर, संजीव सेठी, मुकुल जगदेव, आर.के.पटेल, अभिनव गुप्ता, नवीन साहू, विजय हिरवानी, शेखर सहित अनेक वरिष्ठ वास्तुविद उपस्थित थे।

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