21वीं सदी की भाषा है हिंग्लिश, रोजगार का क्षेत्र और स्वरूप भी बदला

देवसंस्कृति महाविद्यालय में बदलते रोजगार परिदृश्य पर व्याख्यान

DSCET Guest Lectureभिलाई। 21वीं सदी की भाषा हिंग्लिश है। 10 में से 9 वस्तुओं के नाम हम अंग्रेजी में लेते हैं। पर इन्हें जोड़ने के लिए हिन्दी का प्रयोग करते हैं। शुद्ध हिन्दी या शुद्ध इंग्लिश के बहुत ज्यादा लेवाल नहीं रहे। आज जब कि सर्वाधिक वेतन देने वाले करियर मार्केटिंग के क्षेत्र में है, हमें धारा प्रवाह बोलने या लिखने का अभ्यास करना चाहिए। इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में भाषा पर अच्छी पकड़ स्वतंत्र रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध कराती है।Fluency a must for growth in careerउक्त बातें वरिष्ठ पत्रकार एवं अंग्रेजी के अध्यापक दीपक रंजन दास ने आज देवसंस्कृति महाविद्यालय में कहीं। नई सदी में रोजगार के बदलते अवसरों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धाराप्रवाह बोलने की क्षमता अब करियर के लिए बेहद जरूरी हो गई है। अध्यापन से लेकर राजनीति तक और लेखन से लेकर विपणन तक भाषा आपको शीर्ष तक ले जा सकती है।
महाविद्यालय के आईक्यूएसी द्वारा मकर संक्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित इस व्याख्यान के आरंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ कुबेर सिंह गुरुपंच ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया। उन्होंने कहा कि व्याख्यान का आयोजन विद्यार्थियों एवं व्याख्याताओं में नवीन ऊर्जा का संचार करने के लिए किया गया है। ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन आगे भी किया जाता रहेगा।
Devsanskriti Mahavidyalaya Guest Lectureकार्यक्रम का संचालन ममता दुबे ने किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी शाहीन बेगम, फैकल्टी मेम्बर्स कीर्तिलता सोनी, श्वेता साव, प्रीति पाण्डे, बबली रीना साहू, ज्योति पुरोहित, कीर्तिलता सोनी, वर्षा शर्मा, रीना मानिकपुरी, गणेश प्रसाद साहू, योगेश कुमार सहित कॉमर्स एवं एजुकेशन के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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