Legal literacy workshop

प्रत्येक नागरिक को कानून का सही ज्ञान आवश्यक- डॉ किरणमयी नायक

दुर्ग। प्रत्येक नागरिक को संविधान के अनुरूप उसकी सहायता हेतु बनाये गये कानूनों का पूर्ण रूप से ज्ञान होना चाहिये। कानून को जानने वाले लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कम होने के कारण अधिकांश नागरिक लंबे समय तक कठिनाई का सामना करते रहते हैं। ये उद्गार छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने व्यक्त किये। डॉ नायक आज दुर्ग जिला विधिक सहायता प्रकोष्ठ तथा हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित ऑनलाईन 3 दिवसीय विधिक सहायता कार्यशाला के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्गार व्यक्त् कर रहीं थी। डॉ नायक ने कहा कि दुर्ग जिला विधिक सहायता केंद्र के जुड़े सभी माननीय न्यायाधीश तथा दुर्ग विश्वविद्यालय प्रशासन इस बेहतरीन आयोजन के लिये बधाई का पात्र है। डॉ नायक ने कहा कि आम नागरिकों को सायबर क्राइम, दहेज, मोटरव्हीकल एक्ट, वृद्धजनों हेतु कानून तथा घरेलू हिंसा आदि से संबंधित कानूनों की पूर्ण रूप से जानकारी न होने के कारण अगला आरोपी पक्ष उसका फायदा उठाता है। हमें अपने हित में कानूनों को जानने का अवश्य प्रयत्न करना चाहिये। विशेषकर महिलाओं को अपने शोषण के खिलाफ आवाज अवश्य उठानी चाहिये।
इससे पूर्व कार्यशाला के संचालक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने कार्यशाला का विवरण प्रस्तुत किया। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ अरूणा पल्टा ने अपने स्वागत भाषण में इस तीन दिवसीय कार्यशाला में न्यायाधीश ममता भोजवानी, रूचि मिश्रा, अकांक्षा सक्सेना, प्रशांत देवांगन, अनूप तिग्गा द्वारा दिये गये सामसामयिक विषयों पर व्याख्यान की सराहना करते हुए उसे आज के समय की आवश्यकता बताया। डॉ पल्टा ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर देते हुए सभी न्यायधीशों को धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय है कि दुर्ग जिला विधिक सहायता प्रकोष्ठ दुर्ग से संबंधित न्यायाधीशों ममता भोजवानी ने घरेलू हिंसा तथा महिलाओं से संबंधित अन्य कानूनों, रूचि मिश्रा ने सायबर कानून तथा सायबर अपराध पर, अनूप तिग्गा ने मोटर व्हीकल कानून से संबंधित विषय पर, अकांक्षा सक्सेना द्वारा वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित कानून तथा न्यायाधीश प्रशांत देवांगन द्वारा मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रतिदिन लगभग 500 से अधिक प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रदान की गई।
धन्यवाद ज्ञापन डीएसडब्लू डॉ प्रशांत श्रीवास्तव ने किया।

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