Take Weater Color Codes Seriously

कुछ कहते हैं मौसम के कलर कोड, ऐसे करें तैयारी

दुर्ग। वैसे तो मौसम लगातार बदलता रहता है पर कुछ अवसरों पर यह परवर्तन जीव-जंतुओं पर भारी पड़ता है। मौसम विभाग मौसम में होने वाले परिवर्तनों एवं इसके कारकों पर लगातार नजर रखता है और समय-समय पर आम लोगों के लिए महत्वपूर्ण सूचनाएं जारी करता है। इन सूचनाओं को समझकर हम अपने बचाव की बेहतर तैयारी कर सकते हैं। 2016 में इंग्लैंड से इसे कलर कोड के रूप में जारी करने की शुरुआत की गई। इसकी विस्तृत जानकारी दे रहे हैं प्रसिद्ध भूगर्भशास्त्री एवं हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ प्रशांत श्रीवास्तव।
डॉ श्रीवास्तव विश्व पृथ्वी दिवस पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इस समय छत्तीसगढ़ के अधिकांश शहरों का दिन का तापमान 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है। तापमान लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में हमें इन कलर कोड्स के बारे में जान लेना चाहिए ताकि हम अपनी, अपने परिजनों तथा अपने आसपास के जीवजंतुओं की सुरक्षा कर सकें। उन्होंने बताया कि मौसम संबंधी भविष्यवाणी की दो श्रेणियां होती हैं। प्रथम श्रेणी में अवलोकन को शामिल किया गया है जिसमें शहर व आस-पास में हो रहे बदलाव के बारे में जानकारी देता है। दूसरी श्रेणी में परिस्थिति के बिगड़ने तथा और बिगड़ने की चेतावनी दी जाती है। इसका उद्देश्य आम जनता को सतर्क रहकर अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा के लिए प्रेरित करना है। स्मार्ट फोन्स में मौसम संबंधी सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने की सुविधा होती है।
डाॅ. श्रीवास्तव ने बताया कि भारत में राष्ट्रीय मौसम विभाग, नई दिल्ली तथा पुणे के सहयोग से मौसम संबंधी अलर्ट रेडियो, टीवी, अखबारों तथा सोशल मीडिया पर प्रसारित किये जाते है। मौसम विभाग “हीट इंडेक्स” का प्रयोग करता है। यह तापमान और आर्द्रता की युति को दर्शाता है। यदि किसी क्षेत्र में हीट इंडेक्स 101 डिग्री फैरनहाइट से अधिक हो तो शीतलता बनाये रखने के लिए विशेष प्रयास एवं सावधानी की जरूरत होती है। ऐसे में प्रति घंटा कम से कम चार कप पानी पीना, हल्के सूती कपड़ों का प्रयोग करना एवं श्रम करने से बचना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में चार रंगों द्वारा मौसम अलर्ट जारी किये जाते है। ग्रीन अलर्ट का मतलब सामान्य मौसम है। यलो अलर्ट व्यक्ति को आने वाले समय के लिए सावधान करता है। आॅरेंज अलर्ट बताता है कि मौसम में कभी भी भीषण परिवर्तन हो सकता है। रेड अलर्ट में तत्काल एक्शन लेने की जरूरत होती है। रेड अलर्ट में घर से बाहर नहीं निकलना, पब्लिक ट्रांसपोर्ट एवं शैक्षणिक संस्थाओं को बंद करने जैसे कदम उठाये जाते हैं।
ग्रीन अलर्ट में धूल भरी आंधी के चलने की की संभावना कम होती है। आॅरेंज अलर्ट में मध्यम दर्जें की धूल भरी आंधी आ सकती है इसमें हवा की गति 40 कि.मी. प्रति घंटा होती है। दृष्यता एक हजार मीटर तक सीमित होती है। रेड अलर्ट में भीषण धूल भरी आंधी चलने की संभावना होती है जिसमें हवा की गति 62 से 87 कि.मी. प्रति घंटा तथा दृष्यता 200 मीटर तक सिमट जाती है। गाढ़े लाल रंग के अलर्ट में वायु की गति 88 कि.मी प्रति घंटा से अधिक होती है तथा दृष्यता मात्र 200 मीटर तक होती है। भारत सरकार का भूविज्ञान मंत्रालय तथा केन्द्रिय मौसम विभाग द्वारा जारी इन मौसम संबंधी अलर्ट्स को हमें गंभीरता से लेकर तदनुसार व्यवहार करना चाहिए।

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