श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में मनी रवींद्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की 162वीं जयंती बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाई। अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राहुल मेने ने छात्रों को जीवन में महान मूल्यों को विकसित करने, उत्कृष्टता का लक्ष्य रखने और कवि के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश भी दिया।
डॉ मेने ने बताया कि रवींद्रनाथ टैगोर जयंती दुनिया भर में उनके अनुयायियों के साथ-साथ साहित्य-प्रेमियों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, टैगोर का जन्म 07 मई, 1861 को हुआ था। बंगाली कैलेंडर कहता है कि उनका जन्म बोइशाख महीने के 25 वें दिन हुआ था। ड्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल टैगोर जयंती 09 मई को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में स्थानीय स्तर पर मनाई जाएगी।
प्रभारी प्राचार्य डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि कविगुरू न केवल एक सच्चे भारतीय थे बल्कि उन्होंने सार्वभौमिक मानवतावाद का प्रचार किया। उनके लेखन, उपदेश और दर्शन से प्रेरणा प्राप्त करने के लिए, विशेष रूप से वर्तमान महामारी के समय और आज तक उनके अनुकरणीय साहित्यिक कार्य के लिए उन्हें जाना जाता है।
उप-प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष हिंदी डॉ अर्चना झा ने कहा कि गुरुदेव 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले गैर-यूरोपीय बने। उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान उनके प्रशंसित कविता संग्रह गीतांजलि के प्रकाशन के बाद दिया गया, उनकी कविताओं का संग्रह रवींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। उनकी दो कविताओं को व्यापक रूप से भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में जाना जाता है- जन गण मन और अमर सोनार बांग्ला।
इस वर्ष स्नातकोत्तर और स्नातक के छात्रों ने रवींद्र नाथ टैगोर के कार्यों पर कविताएँ और निबंध लिखे। इस अवसर पर विभाग की फैकल्टी डॉ नीता शर्मा, शर्मिष्ठा पवार और श्रेया पॉल तथा अंग्रेजी साहित्य के यूजी व पीजी के छात्र मौजूद थे।

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