Kabir Jayanti at Confluence College

कॉन्फ्लूएंस कालेज में कबीर पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

राजनांदगांव। कॉन्फ्लूएंस कॉलेज और राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के संयुक्त तत्वाधान में कबीर जयंती के अवसर पर कबीर की प्रासंगिकता : वर्तमान परिपेक्ष में विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र की मेजबानी डॉ. रचना पांडे ने कीl मुख्य अतिथि डॉ. परदेशी राम वर्मा ने कहा कि कबीर द्वारा प्रवर्तित निर्गुण पंथ सहज भक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है, जिसमें वर्ग, वर्ण, धर्म, जाति और संप्रदाय का कोई महत्व नहीं होताl जाती पाती पूछे ना ही कोई, हरि को भजे सो हरि की हुई।
विनय पाठक बिलासपुर ने कहा कि लगभग 300 वर्षों से भी ज्यादा समय तक चले भक्ति आंदोलन में भक्ति की जो अंतरधाराएं प्रभावित हुई, इनमें निर्गुण भक्ति का अपना विशेष महत्व है और कबीर के अनुयाई कबीरपंथी छत्तीसगढ़ में भी अधिक मात्रा में उनके विचारों का पालन कर रहे हैंl विशिष्ट अतिथि डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने कहा कि बढ़ते समय के साथ जगत में भौतिक सुविधाएं साधन सामग्री सुख वैभव आदि में वृद्घि अवश्य हुई है, किंतु मानव सहज वृत्तियों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआl
डॉ. अनुसूया अग्रवाल, डॉ. मुक्ता कौशिक ने कहा कि कबीर ने अपने युग की जिन जिन विसंगतियों पर व्यंग किया था, वह आज के आधुनिक युग में भी उतना ही प्रासंगिक सार्थक प्रतीत होता हैl
महाविद्यालय के डायरेक्टर आशीष अग्रवाल, संजय अग्रवाल, डॉ.मनीष जैन ने संयुक्त रूप से कहा कि कबीर ने जगत को खुली आंखों से देखा परखा और समाज में उन अनुभवों को साक्षात्कार कराया जो समाजोपयोगी है, इसलिए सभी साहित्यकारों का महाविद्यालय में अभिनंदनl
प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. कान्हा कौशिक द्वारा कहा गया कि लगभग छ:सौ वर्ष पूर्व कहीं लिखी गई, कबीर की वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैl बिहार से पधारे डॉ. सरोज कुमार गुप्ता, महाराष्ट्र से विनोद वाचाल, डॉ. विनोद वर्मा ने भी अपने विचार साझा किए l
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता संयोजिका प्राचार्य डॉ. रचना पांडे ने कहा कि कबीर की प्रासंगिकता वर्तमान परिप्रेक्ष्य देश दुनिया के माहौल को समझना एवं एक सभ्य समाज की मूर्त प्रारूप बनाना ही संदेश होगा जो कबीर के विचारों से ही संभव हैl
शोध संगोष्ठी में सीमा निगम, डॉ. शंकर मुनिराय, निर्मला सिन्हा, प्रीति रानी ने भी अपने विचार प्रस्तुत किएl उल्लेखनीय है कि समाज एवं शिक्षकों को भारतीय संस्कृति शिक्षा साहित्य तथा महापुरुषों से सुपरिचित एवं राष्ट्रीय गौरव की अनुभूति विचार प्रकट के लिए इस अवसर के माध्यम से शिक्षाविद साहित्यकार डॉ. विद्यासागर मिश्रा ,डॉ. कान्हा कौशिक, डॉ. विनोद चाल प्रो.सरोज कुमार गुप्ता एवं कैलाश परमार को कबीर साहित्य सम्मान से सम्मानित किया गयाl
साथ ही देश भर से आए प्राध्यापक, शोधार्थी, शिक्षाविद ,साहित्यकार, विचारकों को जिनमें 40 प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह द्वारा सम्मानित किया गयाl
सह संयोजिका प्रीति इंदुरकर ने आभार व्यक्त किया। शोध संगोष्ठी में मंच संचालन आयोजन सचिव प्रो. विजय मानिकपुरी ने किया। उन्होंने कहा कि भविष्य का परिणाम यदि हमको जानना हो तो भूत में कबीर जी के विचारों का अनुपालन आवश्यक करना होगा l
संगोष्ठी में बिहार,महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, रायपुर, बिलासपुर सहित 85 साहित्य प्रेमियों का आगमन साहित्य नगरी संस्कारधानी राजनांदगांव में विचार मंथन कार्यक्रम द्वारा संपन्न हुआ l

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