Group Discussion on Gurupurnima at MJ College

कुछ ऐसा करें कि गुरू के रूप में स्वीकार्यता मिले – सूर्यवंशी

भिलाई। केवल सिलेबस पढ़ाने से कोई गुरू नहीं हो जाता। विद्यार्थियों का विश्वास हासिल करना, उनके मन में अपने लिया जगह बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। शिक्षक गुरू तभी बन सकता है जब वह खुद में ऐसी बातें पैदा करें जो विद्यार्थी उनमें ढूंढ रहा होता है। गुरू वही हो सकता है जिसे विद्यार्थी गुरू मानें। उक्त बातें एमजे कालेज के फार्मेसी विभाग के प्राचार्य विजेन्द्र सूर्यवंशी ने आज गुरूपूर्णिमा के अवसर पर कहीं।
श्री सूर्यवंशी एमजे कालेज में आज गुरूपूर्णिमा के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रहे थे। महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर की प्रेरणा एवं प्राचार्य डॉ अनिल चौबे के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आईक्यूएसी प्रभारी एवं शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया ने की। डॉ भाटिया ने कहा कि विद्यार्थियों के मन में गुरू के लिए सम्मान का ह्रास हो रहा है। इसे ठीक करने का दायित्व भी हमारा ही है। हमें शिक्षकों में ऐसे गुणों का विकास करना होगा जो विद्यार्थियों के मन में उनके लिए सम्मान और आदर का कारण बने।
कम्प्यूटर साइंस विभाग की अध्यक्ष पीएम अवंतिका ने अपने जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने जितना कुछ स्कील या कालेज में सीखा उससे कहीं ज्यादा अपने परिवेष से सीखा। यहां तक कि विषय चयन के समय में उन्होंने अपने सहपाठियों का अंधानुकरण ही किया था। उन्होंने जीवन में माता पिता के मार्गदर्शन के महत्व को रेखांकित किया।


साइंस विभाग की प्रभारी सलोनी बासु, वाणिज्य संकाय के प्रभारी विकास सेजपाल, स्नेहा चंद्राकर, दीपक रंजन दास, तरन्नुम बानो, शिक्षा संकाय की अर्चना त्रिपाठी, ममता राहुल, डॉ अमिता बिसारे, प्रीति देवांगन, अलका साहू, रजनी कुमारी, कृतिका गीते, जीएस देवांगन, शकुन्तला जलकारे, अर्चना साहू, प्रकाश साहू, आदि ने अपने-अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ जेपी कन्नौजे ने जीवन में गुरू की महत्ता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि आपाधापी के इस युग में सब कुछ कमर्शियल हो गया है। विद्यार्थियों की आस्था और विश्वास हासिल करने के लिए शिक्षकों को भी कड़ी मेहनत करनी होगी।

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