Teachers need to grow up as a mentor

विस्तृत और चुनौतीपूर्ण है शिक्षक का दायित्व – आचार्य डॉ महेशचंद्र शर्मा

भिलाई। प्रख्यात भाषाविद एवं वरिष्ठ शिक्षाविद आचार्य डॉ महेशचंद्र शर्मा का मानना है कि शिक्षक का दायित्व न केवल चुनौतीपूर्ण है बल्कि यह एक विशाल क्षेत्र है। न तो शिक्षा दान कभी पूर्ण होती है और न ही शिक्षा ग्रहण करने पर कभी विराम लगता है। इसके उदाहरण पौराणिक गाथाओं में भी विस्तार से मिलते हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षक और प्रभावशाली होने के लिए पाठ्यक्रम से बाहर निकलकर शिक्षा को आजीविका तथा अध्यावसाय से भी जोड़ना होगा। तभी उसकी चेष्टाएं सफल हो पाएंगी।
आचार्य डॉ महेश चंद्र शर्मा, शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर संडे कैम्पस से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केवल अच्छे अंकों से डिग्री प्राप्त करना, अच्छे भविष्य की गारंटी नहीं करता। अधिकांश लोग आज अपनी शिक्षा से इतर आजीविका में फंसे हुए हैं जो तनाव और असंतोष का मुख्य कारण है। शिक्षक ने खुद को पाठ्यक्रम में इतना संकुचित कर लिया है कि वह विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने में भी स्वयं को अक्षम पाता है।
शासकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद पर दीर्घ काल तक सेवा देने के बाद अवकाश प्राप्त करने वाले आचार्य ने कहा कि प्रभु श्रीराम को अपने गुरू से धनुर्विद्या में महारत हासिल हुई थी। पर कर्मक्षेत्र वे किंकर्त्तव्य विमूढ़ हो गए। कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में श्रीकृष्ण ने उनका मार्गदर्शन किया। तब कहीं जाकर अर्जुन ने गांडीव उठाया और धर्म की विजय का मार्ग प्रशस्त किया। इसी तरह बालक हनुमान असीम बलशाली थे। उन्होंने श्रेष्ठ गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी पर आचरण नहीं सीख पाए थे। बालक हनुमान ऋषियों के कार्यों में विघ्न उत्पन्न करते थे जिसके कारण उन्हें श्राप मिला। वे अपना सम्पूर्ण बल और कौशल भूल गए। जब आवश्यकता पड़ी तो बुजुर्ग जामवंत ने उन्हें उनकी शक्तियों का पुनःस्मरण कराया और वे अपने प्रभु श्रीराम की अपेक्षाओं पर खरा उतरने में सफल हुए।
आचार्य ने कहा कि आज शिक्षक को गुरू द्रोणाचार्य के साथ ही श्रीकृष्ण की जिम्मेदारी भी निभानी है। इसके लिए उन्हें स्वयं को तैयार करना होगा। पाठ्यक्रम से बाहर निकलकर विषय को वास्तविकता से जोड़ना भी होगा। तभी वे विद्यार्थियों का सम्यक मार्गदर्शन कर पाएंगे। तभी उन्हें विद्यार्थियों का भरोसा और सम्मान प्राप्त होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी यही उद्देश्य है। जो विषय अभी पाठ्यक्रम में नहीं हैं पर रोजगार के लिए आवश्यक हैं, उन्हें कक्षा अध्यापन में शामिल करना होगा।
आचार्य ने शिक्षा के महान यज्ञ में भागीदारी दे रहे सभी शिक्षकों, महाविद्यालयों के संचालकों एवं विद्यार्थियों को शिक्षक दिवस की शुभाकामनाएं भी दीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *