शंकराचार्य महाविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का आयोजन

भिलाई. श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी, भिलाई के महिला प्रकोष्ठ ’विविधा’ द्वारा 8 सितबर 2022 को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य शिक्षा को बढ़ावा देना है और ज्यादा से ज्यादा लोगों को साक्षर होने के लिए जागरुक करना है। साक्षरता दिवस 2022 की थीम ट्रांसफॉर्मिंग लिटरेसी लर्निंग स्पेस है। किसी भी देश की साक्षरता दर बढने सेे देश का भी तेजी से विकास होता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य साक्षरता को बढ़ावा देना है जिससे देश का हर वर्ग शिक्षित हो सके। इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को साक्षरता दिवस का महत्व तथा महिला उपन्यासकार द्वारा रचित ’बुकर अवॉर्ड’ प्राप्त उपन्यास ’रेत की समाधि’ के बारे में बताया गया जो कि गीतांजलि श्री महिला उपन्यासकार द्वारा लिखी गई है। इस कार्यक्रम में छात्रों को लेखक के जीवन, उनकी यात्रा और उनके सभी कार्यों के बारे में संक्षिप्त विवरण को महाविद्यालय की उप-प्राचार्य एवं महिला प्रकोष्ठ ’विविधा’ के अध्यक्ष डाॅ. अर्चना झा ने पावर पाईंट प्रजेंटेशन के द्वारा बताया। 739 पन्नों का यह उपन्यास 80 साल की एक ’अम्मा’ के बारे में है। जिनका नाम चंद्रप्रभा है। इनकी कहानी दिल्ली की गलियों से शुरू होती है और कई पड़ाव पार करते हुए पाकिस्तान पहुंचती है। चंद्रप्रभा की कहानी में एक महिला के हालात, पित्रसत्ता, टांसजेंडर, बंटवारा और राजनीति का बखूबी जिक्र किया गया है। चंद्रप्रभा की कहानी इन सभी मुद्दों से गुजरते हुए आगे बढ़ती है। कहानी की मुख्य किरदार यानी चंद्रप्रभा पति के देहांत के बाद खाट पकड़ लेती है। उपन्यास की कहानी में एक ट्रांसजेंडर की एंट्री से कई बड़े बदलाव आते हैं, यही से कहानी और दिलचस्प हो जाती है। गीतांजलि श्री का यह उपन्यास बंटवारे का दर्द भी बखूबी बयां करता है। बंटवारे से पहले पाकिस्तान में रहने वाली चंदा का निकाह वहां के अनवर के साथ होता है और बंटवारे के बाद उसे हिन्दुस्तान आना पड़ता है, इस तरह पाकिस्तान की चंदा हिन्दुस्तान आकर चंद्रप्रभा बन जाती है। छात्रों को लेखिका के नवीनतम काम ष्रेत की समाधिष् में हमें स्त्री के विभिन्न रूप देखने को मिलते है। आदरणीय वक्ता ने सुन्दर ढंग से पुस्तक की झलकियाँ दीं, जो न केवल छात्रों की रुचि को बांधा बल्कि उन्हें लेखिका के विचार और दृष्टिकोण से भी जोड़ा।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य एवं अतिरिक्त निदेशक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि महिलाओं का शिक्षित होना बहुत ही अनिवार्य है क्योंकि राष्ट्र की विकास में पुरूषों के समान ही महिलाओं का योगदान रहता है। एक शिक्षित महिला अपने परिवार के साथ-साथ सामाज का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण एवं महिला प्रकोष्ठ ’विविधा’ की सदस्य डाॅ. अनिता पाण्डेय, डाॅ. व्ही.के. सिंह, डाॅ. सोनिया बजाज, डाॅ. रचना चैधरी, डाॅ. भुनेश्वरी नायक तथा समस्त विद्यार्थीगण उपस्थित रहें।

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