Debate less politics is a farce

आरोप पर आरोप, कोई जवाब क्यों नहीं देता

राजनीतिक दलों ने लगता है आम जनता को बेवकूफ समझ लिया है. विपक्ष केवल आरोप पर आरोप लगाता है. सत्ता पक्ष जवाब देता है तो ऐसा लगता है कि विपक्ष केवल झूठ बोल रहा है. प्रधानमंत्री आवासों को ही लें तो विपक्ष एकाएक जनता के दुख-दर्द का साथी बन गया है. जनता का दुख केवल डेढ़ कमरे के पक्के मकान में जा कर घुस जाने से दूर नहीं हो जाता. हर महीने उसकी रसोई का बिल बढ़ रहा है. सरकारें कुछ नहीं कर पा रही हैं. प्रधानमंत्री आवासों को लेकर विपक्ष ने तो बाकायदा मोर्चा खोल दिया है. वे विधानसभा का घेराव करने वाले हैं. इधर मुख्यमंत्री ने आंकड़ों के साथ उन्हें जवाब दिया है. उन्होंने बाकायदा गिनती गिनाई है. साथ ही यह भी कहा है कि यदि केन्द्र ने गरीबों का सर्वे नहीं कराया तो राज्य सरकार स्वयं सर्वे कराएगी और गरीबों को आवास का लाभ भी देगी. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि 2011 में जारी की गयी जनसंख्या सांख्यिकी और बीपीएल परिवारों का आंकड़ा अब पुराना हो चुका है. देश में 2021 में जनगणना कराया जाना था. कोरोना का बहाना बनाकर केन्द्र उसे अब तक टाल रहा है. कोरोना से कोई भी देश नहीं बचा था पर अधिकांश बड़े देशों ने जनगणना का कार्य करा लिया है. यह इसलिए भी जरूरी है कि सरकार को पता तो हो कि गरीबी बढ़ी है या घटी है. लोग बीपीएल से ऊपर आए हैं और और भी एपीएल लोग बीपीएल हो गये हैं. राज्य सरकार ने साथ ही कहा है कि केन्द्र राज्यों के प्रस्तावों का जवाब तक नहीं देता. मंडी शुल्क, सड़क बनाने की समय सीमा, रायपुर एयरपोर्ट पर कारगो इंटरनेशनल, खनिज की रायल्टी, जीएसटी क्षतिपूर्ति की रकम पर केन्द्र ने चुप्पी साध रखी है. सवाल जायज है और इसपर बहस भी होनी चाहिए. चुप्पी को चोर का आभूषण भी माना गया है. पुलिस कितना भी पीटे, वह केवल एक ही बात कहता है, मैंने कुछ नहीं किया, मुझे कुछ नहीं मालूम. पर लोकतंत्र में यदि राजनीतिक दलों ने भी यही रवैया अख्तियार कर लिया तो जनता के पास एक ही विकल्प रह जाता है. वह नेताओं के बोल सुनना बंद कर दे और आंकड़ों पर गौर करना शुरू करे. वह अपने आसपास देखे, अपने जीवन के अनुभवों को टटोले और बेकार की बातों पर ध्यान देना बंद करे. जो भी पार्टी आरोपों का जवाब नहीं देती, जो साफ सुथरी बहस में हिस्सा नहीं लेती, उसे कपटी मान लेने में क्या हर्ज है? वैेसे भी देश के युवा मतदाता पहले भी खामोशी से सत्ता पलटाते रहे हैं, अब जबकि उनके पास सरकार के कामकाज को जांचने की ज्यादा सुविधाएं हैं, उन्हें सरकारों को सही मायने में जनता की सरकार बनाने की पहलकदमी करनी चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *