दो साल बाद बिस्तर से फिर उठ बैठा ब्रेन स्ट्रोक और स्पाइन टीबी का मरीज
भिलाई। दो साल पहले कोरोना के चलते धनेशी राम की तबियत बिगड़ी थी. इसके बाद उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हो गया. शरीर का दाहिना हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. उनके लिए बिस्तर से उठना भी मुश्किल हो गया. हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल लाया गया. जांच करने पर उन्हें हेपेटाइटिस-बी पाजीटिव पाया गया. रीढ़ की सर्जरी भी करनी पड़ी. अब मरीज की हालत पहले से काफी बेहतर है.
हाइटेक के न्यूरोसर्जन डॉ दीपक बंसल ने बताया कि कोरोना के बाद बहुत से रोगियों को स्ट्रोक से गुजरना पड़ा है. ग्राम माटरा दुर्ग निवासी धनेशी राम यादव भी इन्हीं में से एक थे. पर इसके बाद वे पक्षाघात के शिकार हो गए. काफी समय तक इसी स्थिति में रहने की वजह से उनका शरीर भी काफी कमजोर हो गया था. जांच करने पर पता चला कि वे Hepatitis-B वायरस से संक्रमित हैं. ऐसे मरीजों की सर्जरी करने वाले तथा उनके शरीर से निकलने वाले किसी द्रव के सम्पर्क में आने वालों के संक्रमित होने का खतरा होता है. इसलिए काफी सावधानी बरतते हुए उनका इलाज किया गया.
रीढ़ की जांच करने पर पाया गया कि उनकी रीढ़ के कमर वाले हिस्से Lumbar spine में टीबी की बीमारी है. इसे Pott’s Disease पाट्स डिसीज भी कहते हैं. इसकी सर्जरी जरूरी थी क्योंकि यहां की नस दबी होने के कारण ही उनका उठना-बैठना बंद हो गया था. मरीज के हेपेटाइटिस-बी संक्रमित होने के कारण यह एक बेहद चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी. अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए उनकी सर्जरी कर दी गई. रीढ़ को फिक्स कर दिया गया. अब मरीज उठने-बैठने लगा है. थोड़े ही दिन में वह चलने फिरने लगेगा और घर भी जा सकेगा.
धनेशी राम ने बताया कि अपनी बीमारी से परेशान होकर उन्होंने ठीक होने की उम्मीद ही छोड़ दी थी. पर घर वाले लगातार लगे रहे और अच्छे से अच्छा अस्पताल तलाशते रहे. हाइटेक के बारे में सुना तो यहां लेकर आए और उन्हें एक नई जिन्दगी मिल गई है.