Orientation program in MJ Pharmacy College

इससे पहले ही शरीर जड़ हो जाए, चेत जाएं – डॉ दीक्षित

भिलाई। सुप्रसिद्ध फिटनेस कोच एवं त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ आलोक दीक्षित ने आज कहा कि इससे पहले कि शरीर जड़ हो जाए, हमें चेत जाना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि बिगड़ी हुई जीवन शैली कहीं हमें पंगु न बना दे क्योंकि प्रकृति हमसे हर वह चीज वापस ले लेती है जिसका हम उपयोग नहीं करते. वे एमजे फार्मेसी कालेज में नवप्रवेशियों के अभिविन्यास कार्यक्रम “प्रारंभ” को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रहे थे.
डॉ दीक्षित ने कहा कि विकासक्रम में मनुष्य जब पेड़ों से उतर कर दोनों पैरों पर चलने लगा तो उसकी पूंछ झड़ गई, बांहें छोटी हो गईं और पैर बड़े हो गए क्योंकि उसकी जरूरतें बदल चुकी थीं. इसी तरह यदि हम दिन भर बैठे रहे और लैपटॉप या कम्प्यूटर पर काम करते रहे तो हमारे पैर कमजोर हो जाएंगे, बांहें छोटी हो जाएंगी और गर्दन झुक जाएगी. धीरे-धीरे पूरी नस्ल ऐसी ही हो जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रतिदिन 10 हजार कदम चलना भी एक मिथक है. हमें इससे काफी ज्यादा चलने की जरूरत है. उल्लेखीय है कि डॉ आलोक दीक्षित एक “सर्टिफाइड ची रनिंग ट्रेनर” भी हैं. वे स्वयं 80 किलोमीटर का अल्ट्रामैराथन दौड़ चुके हैं. उनकी कोशिश 100 किलोमीटर दौड़ पाने की है जिसके लिए वे सतत् प्रयत्नशील हैं.
डॉ दीक्षित ने प्रागैतिहासिक “स्फिंक्स” का उदाहरण देते हुए कहा कि यह विशालकाय पक्षी अंतकाल आने पर स्वयं को जलाकर भस्म कर देता था और फिर उस राख से एक नए स्फिंक्स का जन्म होता था. व्यक्ति को अपने जीवन में इससे सीख लेनी चाहिए और पूरी तरह बर्बाद होने पर भी फिर उठ खड़े होने की हिम्मत रखनी चाहिए.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एमजे शिक्षण समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने कहा कि विद्यार्थी लोगों को जज करने से बचें. बिना पूरी बात जाने किसी के प्रति गलत धारणा बनाना कभी-कभी सच्चाई जानने के बाद प्रायश्चित्त करने का मौका तक नहीं देता. कथा के माध्यम से अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि डूबते जहाज में सवार एक व्यक्ति अपनी पत्नी को छोड़कर अपनी जान बचा लेता है. उसकी बेटी को हमेशा इस बात का अफसोस रहता है. पर जब उसे पता चलता है कि उसकी मां बहुत बीमार और अल्प दिनों की मेहमान थी और उसके पिता ने केवल उसकी परवरिश के लिए स्वयं को जीवित रखने का विकल्प चुना था तो वह आत्मग्लानि से भर जाती है. अच्छी परवरिश के साए में चिकित्सक बन चुकी बेटी को यह बात अपने पिता के देहांत के बाद उनकी डायरी से पता चली. तब वह सिवा अफसोस करने के लिए कुछ नहीं कर सकती थी.
महाविद्यालय के प्राचार्य राहुल सिंह ने विद्यार्थियों को प्रतिदिन कालेज आने, मन लगाकर पढ़ने तथा महाविद्यालय की गतिविधियों में भागीदारी देने की समझाइश दी. उन्होंने कहा कि महाविद्यालय का एक अच्छा ट्रैक रिकार्ड है और उन्हें उम्मीद है कि नव प्रवेशी विद्यार्थी अपनी मेहनत और लगन से इसमें चार चांद लगाएंगे.
इस अवसर पर एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे, एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग के प्राचार्य प्रो. डैनियल तमिल सेलवन, सहायक प्राध्यापक एवं व्याख्यातागण सहित नवप्रवेशी छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे. कार्यक्रम का कुशल संचालन माधवी वर्मा और आकांक्षा सिंह ने किया.

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