Multiple trauma patient treated in Hitek Hospital

दो हफ्ते बाद मरीज ने खोली आंखें, चटकी थीं आठ पसलियां, घायल था लिवर

भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में सड़क हादसे का शिकार हुई एक युवती ने मौत को चकमा दे दिया. संदिग्ध परिस्थितियों में घायल मिली इस युवती को बेहोशी की स्थिति में ही अस्पताल लाया गया था. सिर के अलावा उसके सीने के हिस्से में अंदरूनी चोटें थीं. पीठ की तरफ की आठ पसलियों में फ्रैक्चर है. लिवर भी जख्मी था. लगभग दो हफ्ते की जद्दोजहद के बाद उसने अपनी आंखें खोली पर हादसे के बारे में वह अब भी साफ-साफ कुछ बता नहीं पा रही है.
हाइटेक के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ रंजन सेनगुप्ता ने बताया कि यह एक ऐसा मामला था जिसने चिकित्सकों को खूब छकाया. मस्तिष्क का सीटी स्कैन करने पर वहां रक्त का थक्का दिखाई दिया. इसी तरह सीने के एक्सरे में पीठ की तरफ की दूसरी से नवीं तक पसली में फ्रैक्चर मिला. सीने के सीटी स्कैन में पता चला कि दाहिने फेफड़े में भी खून जमा हुआ था. पेट का भी सीटी किया गया जिसमें आंतरिक पेट की गुहा में रक्त का जमाव पाया गया.
उन्होंने बताया कि मरीज को वेंटीलेटर पर रखकर मस्तिष्क का कंजर्वेटिव ट्रीटमेंट शुरू किया गया. क्षतिग्रस्त लिवर की जांच के लिए डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी की गई. वहां जख्म तो मिला पर रक्तस्राव नहीं हो रहा था. इसलिए ड्रेन डालकर छोड़ दिया गया. आंतरिक पेट की गुहा में जमे खून को निकाल दिया गया.
इस बीच मरीज की हालत रह-रहकर बिगड़ती गई. कई बार तो ऐसा भी लगा कि मरीज को गंवा देंगे पर उसने गजब के जीवट का परिचय दिया. इस बीच उसकी ट्रैकियोस्टोमी कर दी गई तथा राइस ट्यूब की मदद से उसके आहार की व्यवस्था को जारी रखा गया. दो सप्ताह बाद मरीज ने आंखें खोलीं. धीरे-धीरे उसने लोगों को पहचानना और आवाज पर प्रतिक्रिया देना शुरू किया. मरीज को 22 नवम्बर को आधी रात 12 बजे के बाद हाइटेक लाया गया था. लगभग तीन सप्ताह बाद अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है. पर उसे अब भी हादसे के बारे में और उसके बाद गुजरे लंबे अरसे के बारे में कुछ भी याद नहीं. उसे याद है कि नागपुर के रिश्तेदारों से उसकी मुलाकात हुई है पर यह याद नहीं कि वह स्वयं नागपुर गई थी या वो यहां उससे मिलने आए थे.
डॉ सेनगुप्ता ने बताया कि इस युवती के इलाज में इंटेंसिविस्ट डॉ श्रीनाथ की जबरदस्त भूमिका रही जिन्होंने पल-पल मरीज की हालत की निगरानी की. लैपरोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील शर्मा, न्यूरोसर्जन डॉ दीपक बंसल एवं ईएनटी सर्जन डॉ अपूर्व वर्मा भी इस ट्रॉमा टीम के महत्वपूर्ण हिस्सा रहे. मरीज को जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे जाएगी पर उसे निगरानी में रहना होगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *