हिन्दी दिवस पर एमजे कालेज में बच्चों ने सुनाई आपबीती, किया भावुक
भिलाई. किसी ने पीजी में रात को सुनी घूंघरू का आवाजें तो किसी ने ऑटोचालक को सिखाया सबक. किसी को पिता तो किसी को आई मां की त्याग और तपस्या की याद. हिन्दी दिवस पर एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की छात्राओं ने हिन्दी में सुनाई अपनी आपबीती. भावुक हो गये शिक्षक और श्रोता. एक अन्य कार्यक्रम में एमजे कालेज के शिक्षा संकाय ने हिन्दी दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया.
हिन्दी दिवस को रोचक बनाने के लिए महाविद्यालय के संचार कला प्रशिक्षक दीपक रंजन दास ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने जीवन से जुड़े छोटे-छोटे रोचक प्रसंगों को सुनाएं. बिना किसी तैयारी के विद्यार्थियों ने तात्कालिक प्रस्तुतियां दीं. एक छात्रा ने बताया कि भिलाई में वे पीजी में रहती हैं. शुरू शुरू में कुछ दिन नई जगह उन्हें डराती रही. आधा रीत को घुंघरू की आवाजें सुनाई पड़ती थीं. साथ रहने वाली रूममेट्स को लेकर उसने छत और आसपास के कमरों का भी निरीक्षण किया पर कहीं कुछ दिखाई नहीं दिया. धीरे-धीरे घुंघरू की आवाजें बंद हो गईं.
एक अन्य छात्रा ने बताया कि उसकी बहन बहुत भोली है. उन्होंने पुलगांव से ऑटो किया था. पर रास्ते भर ऑटो चालक किसी न किसी बहाने उसकी बहन को गलत ढंग से छू रहा था. खुद को चंट बताते हुए उसने बताया कि साइंस कालेज के सामने आकर उसने एकाएक अपना आक्रामक रूप दिखाया. वाटर बॉटल से ऑटो चालक को सिर पर मारने की धमकी देकर ऑटो रुकवाई और बिना पैसे दिये ही ऑटो से बाहर आ गईं. ऑटो वाला इसके बाद भाग खड़ा हुआ.
एक अन्य छात्रा ने बताया कि एक बार तालाब में नहाते समय वह डूबने लगी थी. उस समय उसकी उम्र कोई 12-13 साल रही होगी. तब मां ने अपनी जान की परवाह न कर उसकी जान बचाई थी. वह झोंटे (चोटी) से पकड़कर उसे बाहर खींच लाई थी. इसी तरह एक अन्य छात्रा ने बताया कि वह अपने पिता के साथ एडमिशन के लिए आ रही थी. पावर हाउस पहुंचते ही बारिश शुरू हो गई. उसके पिता ने उसे एक रेनकोट खरीदा और उसे पहना दिया. वे खुद भीगते हुए ही कालेज तक आए. पिता का यह त्याग देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए थे.
एक अन्य छात्रा ने कालेज का एक ताजा संस्मरण सुनाया. एक नाटक में वह सूत्रधार की भूमिका में थी. ओवरकांफिडेंस के चलते उसने तैयारी नहीं की. मंच पर जब सामने दो दो महाविद्यालयों के प्राचार्यों को देखा तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गई. हालांकि इसकी तैयारी करवाने वाले शिक्षक ने कहा कि पहली-पहली बार में ऐसा हो जाता है पर उसकी समझ में आ गया था कि काम छोटा हो या बड़ा, तैयारी जरूरी होती है.
इसी तरह किसी ने सड़क किनारे पड़े घायल की मदद का संस्मरण सुनाया तो किसी ने स्कूल के दिनों की शरारतों को याद किया. लगभग दो घंटा चले इस कार्यक्रम में 3 छात्रों सहित 40 विद्यार्थियों ने अपने संस्मरण सुनाए. यामिनी सोनी, आफिया अहमद, हुलसी साहू, साक्षी त्यागी, ईशा बाघमारे, जयंती मरावी, पलक, पुष्पांजलि कश्यप, किरण निषाद, झिलमिल कंवर तथा जया साहू की प्रस्तुतियों को विशेष सराहना मिली.
हिन्दी दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन एमजे कालेज के शिक्षा संकाय ने किया. डॉ तृषा शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ शकुंतला जलकारे ने किया. धन्यवाद ज्ञापन नेहा महाजन ने किया. इस अवसर पर डॉ तृषा शर्मा के अलावा महाविद्यालय की उप प्राचार्य एवं शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया, डॉ जेपी कन्नौजे, दीपक रंजन दास एवं विद्यार्थियों ने अपने विचार रखे.