हाइटेक पहुंची मायस्थीनिया ग्रेविस की एक और मरीज, इसकी पहचान मुश्किल
भिलाई। हाइटेक में मायस्थीनिया ग्रेविस की एक और मरीज का सफल इलाज किया गया. इस रोग की पहचान थोड़ी मुश्किल होती है. मरीज पिछले एक साल से कमजोरी का इलाज करवा रही थी. उसे सांस लेने और खाना निगलने में तकलीफ थी. जब वह हाइटेक पहुंची तो सांस नहीं ले पाने की वजह से उसकी हालत गंभीर हो चुकी थी.
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नचिकेत दीक्षित ने बताया कि मायस्थीनिया ग्रेविस एक दुर्लभ दीर्घकालिक स्थिति है. इसमें मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है. आमतौर पर यह आंखों और पलकों, निगलने और बोलने को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को प्रभावित करता है. सांस लेने में कठिनाई हो सकती है. यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है. यह एक ऑटोइम्यून विकार है. इसमें एंटीबॉडी मोटर तंत्रिकाओं और मांसपेशियों के बीच जोड़ पर एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स को नष्ट कर देता है. इसके कारण प्रगतिशील कमजोरी आती है.
डॉ दीक्षित ने बताया कि इसके प्रारंभिक लक्षण इतने साधारण हैं कि इलाज की दिशा भटक जाती है. पर एक से अधिक लक्षण मिलने पर कुछ खास जांचें की जाती हैं. इससे शरीर में एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स के स्तर का पता लगाया जाता है. इसीसे रोग की पुष्टि होती है.
19 साल की इस रोगी को जब अस्पताल लाया गया तो सांस लेने में उसे काफी मुश्किल हो रही थी. मेडिकल भाषा में इसे क्राइसिस की स्थिति कहा जाता है. उसे तत्काल इमरजेंसी में लिया गया. सांस दुरुस्त होने पर उसकी जांच की गई. एमजी की पुष्टि होने के बाद उसके इलाज की दिशा तय की गई. जल्द ही उसकी स्थिति में आशाजनक सुधार हो गया. इस रोग का इलाज लंबा चलता है जिसमें डाक्टर के परामर्श के बिना दवा कम करना या रोकना घातक सिद्ध हो सकता है. हाइटेक में मायस्थीनिया ग्रेविस के इलाज का यह तीसरा मामला है.