Pulmonary emblism causing heart attacks in younger population - Dr Aslam Khan

पल्मोनरी एम्बॉलिज्म बनी जान की दुश्मन, ऐसे बचाई जान

भिलाई। पल्मोनरी एम्बॉलिज्म युवाओं में मृत्यु का एक बड़ा कारण बनकर उभरी है. पिछले कुछ महीनों में ऐसे 4 से 5 मरीजों का हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में इलाज किया गया. इसकी चपेट में आने वाले ज्यादातर मरीजों की उम्र 20 से 40 वर्ष के भीतर है. कुछ माह पहले भिलाई में एक युवा क्रिकेटर की मृत्यु भी संभवतः इसी वजह से हुई थी जिसका सही समय पर डायग्नोसिस नहीं हो पाया । इसमें रोगी सांस फूलने की शिकायत के साथ आता है.
हाइटेक के चीफ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ असलम खान ने बताया कि सांस फूलने के लक्षणों के साथ एक युवा अस्पताल आया. उसकी ईसीजी नार्मल थी पर तकलीफ काफी ज्यादा थी. एक संभावना को मद्देनजर रखते हुए रक्त में थक्कों को नष्ट करने वाली दवा की एक हल्की सी डोज उसे दे दी गई थी. सीटी कन्फर्म होने के बाद दवा का डोज बढ़ा दिया गया और युवक की जान बच गई.
शनिवार को भी एक ऐसी ही मरीज यहां पहुंची. कुछ ही समय पूर्व उसकी सिजेरियन से डिलीवरी हुई थी. उसकी भी सांस फूल रही थी और ईसीजी नार्मल था. उसे भी रक्त पतला करने की दवा दी गई. मरीज के ज्यादा वजन को देखते हुए दवा का डोज भी बढ़ा दिया गया था. मरीज को तत्काल आराम हो गया.
डॉ असलम ने बताया कि इस स्थिति को मेडिकल भाषा में पल्मोनरी एम्बॉलिज्म कहते हैं. इसमें थक्का फेफड़ों में छिपा होता है. ईसीजी फेफड़ों को नहीं देख पाती. पर सीटी स्कैन आदि में काफी वक्त निकल जाता है जो मरीज को भारी पड़ सकता है. 20 से 40 साल के बीच के युवाओं में यह स्थिति फ़िलहाल सर्वाधिक देखी जा रही है । अधिक उम्र में भी यदि व्यक्ति मूवमेंट नहीं कर पा रहे है या कोई सर्जरी के पश्चात भी ऐसा हो सकता है ।
डॉ असलम ने बताया कि पिछले तीन महीनों में उन्होंने तीन ऐसे मरीज देखे जिनकी उम्र 20 से 30 साल के बीच थी. इन सभी में पल्मोनरी एम्बॉलिज्म पाया गया. इनमें एक 28 वर्षीय महिला भी शामिल थी. साधारण जांच में यह पकड़ में नहीं आता इसलिए लक्षणों के आधार पर ही जीवन रक्षा के प्रयास शुरू करना पड़ता है. गहन जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होने पर दवा का डोज बढ़ाया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि इसी स्थिति के चलते कुछ माह पहले शहर में एक युवा क्रिकेटर की मृत्यु हो गई थी. समय रहते इलाज प्रारंभ करने पर संभवतः उसे बचाया जा सकता था. याद रखना होगा कि सीटी पल्मोनरी एंजियोग्राफी की रिपोर्ट आने में कुछ वक्त लग जाता है जो मरीज के लिए घातक हो सकता है. जबकि इसका इलाज बेहद साधारण है.
डॉ असलम ने बताया कि खून गाड़ा होने पर मरीज को पल्मोनरी एम्बॉलिज्म ,हार्ट अटैक , स्ट्रोक या डीवीटी हो सकती है । यह विषय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके कारण युवाओ में मृत्यु की संभावना देखी जा रही है तथा इसे सही जानकारी और सक्षम डॉक्टर के इलाज से सही डायग्नोज़ किया जा सकता है

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