पेट पर लगी थी मामूली चोट, भीतर हो गया कुछ ऐसा
भिलाई. जिसे वह मामूली चोट समझ रहा था, वह इतना गंभीर निकला कि उसके सर्जरी करनी पड़ी. दरअसल, वह काम करते समय पैर फिसलने के कारण गिर गया था. गिरते समय पाइप का एक टुकड़ा उसके पेट से टकराया था. पर वहां कोई निशान नहीं था. पर पेट में तेज दर्द था. कुछ खाने पर उल्टी हो जा रही थी. दोपहर को वह अस्पताल पहुंचा तब जाकर चोट की गंभीरता का अंदाजा हुआ.
लैप्रोस्कोपिक गैस्ट्रो सर्जन डॉ नविल शर्मा ने बताया कि चोट की गंभीरता इससे तय नहीं होती कि चोट कितनी जोर से लगी है. चोट के कारण हुए नुकसान से इसका आकलन किया जाता है. मरीज के पेट पर कोई ठोस वस्तु टकराई थी जिसका कोई निशान शरीर पर बाहर से दिखाई नहीं दे रहा था. पर जब सोनोग्राफी की गई तो आमाशय और छोटी आंत के मिलन स्थल पर गड़बड़ी मिली. अन्य जांचों से चोट की गंभीरता की पुष्टि की गई. दरअसल, चोट लगने से उसकी ग्रहणी अलग हो गई थी. ग्रहणी अर्थात डुओडेनम, छोटी आंत का पहला हिस्सा होता है. यह आमाशय के ठीक बाहर होता है. यह भोजन को तोड़ता है और पोषक तत्वों को शरीर में पहुंचाता है.
डॉ नविल शर्मा ने बताया कि ग्रहणी के अलग होते ही शरीर ने अपना बचाव शुरू कर दिया और आमाशय तक पहुंचने वाली हर चीज को मुंह के रास्ते ही बाहर करने लगा. अब समस्या यह थी कि इसकी सर्जरी कैसे की जाए. उन्होंने हाइब्रिड तकनीक अपनाने का निर्णय लिया. सबसे पहले लैप्रोस्कोप (दूरबीन) की सहायता से चोट की सही स्थिति का पता लगाया गया और फिर एक छोटा सा चीरा लगाकर सर्जरी कर दी गई. कुछ ही घंटों में रोगी को दर्द से मुक्ति मिल गई. छह दिन बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.