Rotablation done successfully at Hitek of a 62 year old male

हाईटेक में रोटाब्लेटर से की हृदय की धमनियों की सफाई

0 सिवान से यहां पहुंचा था 62 वर्षीय मरीज
भिलाई। हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों के ब्लाकेज दूर करने के लिए आम तौर पर बलून की मदद ली जाती है. बलून की मदद से रास्ते को चौड़ा कर ब्लाकेज को हटाया जाता है और फिर वहां स्टेंट लगा दिया जाता है. बाइपास सर्जरी के बारे में भी आपने सुना होगा. पर हाइटेक में इस बार एक 62 वर्षीय मरीज की धमनियों की सफाई रोटाब्लेटर से की गई.
हाइटेक के मेडिकल डायरेक्टर डॉ रंजन सेनगुप्ता एवं इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ असलम खान ने बताया कि इस खास केस के लिए हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था. वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप रत्नानी ने इस प्रोसीजर को किया. रोगी ने बताया कि लगभग दो माह पूर्व उनकी समस्या शुरू हुई. छाती में भारीपन रहने लगा औऱ सांस फूलने लगा. जब स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो वे भिलाई अपने बेटों के पास आ गए. यहां उन्होंने पहले रिसाली और फिर दुर्ग में चिकित्सकों को दिखाया. आरंभिक जांच पड़ताल के बाद इन चिकित्सकों ने उसे हायर सेंटर रिफर कर दिया.
दरअसल, रोगी को साइलेंट हार्ट अटैक आया था एवं दाहिनी कोरोनरी धमनी पूरी तरह से ब्लाक हो गई थी. बायीं तरफ की एक कोरोनरी आर्टरी में भी ब्लाकेज था. धमनियों में जमे कैल्शियम को हटाने के लिए रोटाब्लेटर की जरूरत थी. रोटाब्लेटर को एक कैथेटर की सहारे धमनियों में सरकाया जाता है इसका diamond burr 150000 प्रति मिनट की गति से गोल घूमता हुआ कैल्शियम युक्त सख्त प्लाक को तोड़ता है ; इसके उपयोग के लिए उच्चस्तरीय दक्षता की आवश्यकता होती है. इसे रोटेशनल एथेरेक्टॉमी भी कहा जाता है.
ब्लाकेज हटाए जाने के बाद रोगी ने तेजी से स्वास्थ्य लाभ किया. प्रोसीजर के दूसरे दिन रोगी ने बताया कि अब उसकी तकलीफ जाती रही है. पहले स्वास्थ्य समस्या आने पर वे भिलाई में अपने डाक्टर को दिखाकर दवा लिखवा लेते थे और फिर गांव चले जाते थे. वही दवा उतनी ही मात्रा में वे साल भर लेते रहते थे. पर अब उन्होंने नियमित रूप से जांच करवाने का निर्णय लिया है. चार दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

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